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चोर चुरावें मेरी निंदिया

पायल कंगन झुमके बिंदिया

चोर चुरावें मेरी निंदिया ||1

दधक दधक जियरा दधकै

बरसे छम छम बारिश बुंदिया ||2

धडक धडक धड्कावे दिल को

चकवा चितवे है चंदिया  .3

डग मग डग मग डोल रही है ;

नय्या के अंग संग ही नदिया .4

मुरली भूला अपना वादा

रूँ आँसी है मन की बगिया5

दीप जीरवी

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Comment

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Comment by आशीष यादव on December 18, 2010 at 8:11am
Anuthi rachna k liye badhai sir

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 17, 2010 at 10:22am

बहुत बढ़िया दीप साहब , प्रकृति और श्रींगार रस का अनूठा योग है आपकी कृति | बधाई ...

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