घर के नौकर छोटू ने नेता जी को सूचना दी, "मालिक मालिक, कुछ लोग आप से मिलने आए हैं "
"तुम उन लोगो को बरामदे मे बिठाओ, शरबत-पानी पिलाओ, मैं तैयार होकर आता हूँ "
नेता जी तैयार होकर निकलने ही वाले थे कि उनकी नज़र छोटू पर पड़ी, "अरे.. ये स्टील के गिलासों में क्या लेकर जा रहा है, रे.. ! "
"मालिक शरबत है, आपने ही कहा था न !"
"पगलाया है का..? " नेता जी उसपर गरजे, "शरबत स्टील के गिलासों मे क्यों लेकर जा रहा है ? दिखता नहीं, वो लोग दूसरे धर्म के हैं ?.. वहाँ आलमारी में शीशे के गिलास पड़ें होंगे, ले जा उस में.. . "
Comment
आदरणीय जीतेन्द्र जी, आपको कथा अच्छी लगी लेखन सफल हुआ, आभार ।
आदरणीय माथुर साहब, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु ह्रदय तल से आभार ।
बहुमूल्य टिप्पणी हेतु आभार भाई बृजेश जी ।
प्रिय अनुज अरुण अनंत जी, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार |
इमरान भाई, आप तक यह लघुकथा पहुँच सकी, मुझे अच्छा लगा, बहुत बहुत आभार |
प्रतिक्रिया हेतु आभार सुलभ अग्निहोत्री जी |
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया डाक्टर नूतन गैरोला जी |
बहुत बहुत धन्यवाद भाई अमन कुमार जी, आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है |
आपसे सहमत हूँ आदरणीय श्याम जुनेजा जी, टिप्पणी हेतु आभार |
आदरणीया Dr प्राची जी, आपको लघुकथा अच्छी लगी, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार |
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