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मैं भी कुछ लफ्ज़ तेरे बारे कह दूँ,

शायद तब दो घड़ी सुकून आए..
खोए रहते हैं जो अल्फ़ाज़ खामोशी में..
उनके रंगों में कुछ निखार आए..
जो मेरे सुनने से तुझे होती हो खुशी..
शायद बोलूं तो मुझे क़रार आए..
ख्वाब मत देखो की मैं बात कहूँगी दिल की तेरे..
जो कहूँगी वो शायद दिल के पार जाए..
मेरे अल्फ़ाज़ मेरी आँखों की नमी से हों भीगे..
मेरी आरज़ू मेरे गम से शायद हार जाए..

लेकिन.. बोल तेरे प्यार में ही डूबे हैं..

 

क्यों आज भी.....???

 

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Comment by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 1:35pm

Dhanyavaad Ganesh ji :)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2010 at 11:06am
मेरे अल्फ़ाज़ मेरी आँखों की नमी से हों भीगे..
वाह लता जी वाह , प्यार की मधुर एहसासों मे भींगे हुये यह काव्य कृति एक मधुर एहसास से सराबोर करती है | इस सुंदर काव्य कृति और अभिव्यक्ति हेतु बधाई |

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