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कहा किसी ने 'बहुत ख्वाब सजाती हो तुम.
ज़िंदगी को भी सजाना सीखो.
नुस्खे जितने बताती हो ज़िंदगी जीने के,
कोई एक आध तुम खुद भी तो अपना लो!"

 

क्या कहती मैं..
क्या कहती मैं ..
बस..
चुपचाप खड़ी मुस्कुरा दी..
बस इतना कहा..
मुझे कमी है क्या?
तुम जो साथ हो !

 

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2010 at 9:22am
नुस्खे जितने बताती हो ज़िंदगी जीने के,
कोई एक आध तुम खुद भी तो अपना लो!"..
वाह क्या बात है, आत्मविश्लेषण करती रचना हेतु साधुवाद |
Comment by Bhasker Agrawal on December 23, 2010 at 8:11am
सुन्दर भाव ..कमाल
Comment by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 8:19pm
Aabhaar Giri ji  :)
Comment by Rash Bihari Ravi on December 22, 2010 at 6:40pm
bahut badhia
Comment by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 1:21pm
Shukria Navin ji :)

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