बह्र : मफऊलु फायलातु मफाईलु फायलुन (221 2121 1221 212)
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चंदा स्वयं हो चोर तो जूता निकालिये
सूरज करे न भोर तो जूता निकालिये
वेतन है ठीक साब का भत्ते भी ठीक हैं
फिर भी हों घूसखोर तो जूता निकालिये
देने में ढील कोई बुराई नहीं मगर
कर काटती हो डोर तो जूता निकालिये
जिनको चुना है आपने करने के लिए काम
करते हों सिर्फ़ शोर तो जूता निकालिये
हड़ताल, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, जूलूस तक
कोई चले न जोर तो जूता निकालिये
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद जितेन्द्र 'गीत' जी
बहुत बहुत शुक्रिया गीतिका 'वेदिका' जी
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ by अभिनव जी, स्नेह यूँ ही बना रहे
बहुत बहुत धन्यवाद Lata tej जी
बहुत बहुत धन्यवाद नादिर ख़ान साहब
बहुत बहुत धन्यवाद Vinita Shukla जी
बहुत बहुत धन्यवाद Shyam Narain Verma जी
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ पियुष द्विवेदी 'भारत' जी
बहुत बहुत धन्यवाद Sarita Bhatia जी
बहुत बहुत शुक्रिया ram shiromani pathak जी
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