For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं तेरा हूँ बस तेरा

तेरे दिल में मेरा बसेरा

मेरे दिल में तेरा ही डेरा

सारी उम्र तू हसीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

क्यूँ बार बार दिल तोडती है

इरादों को यूँ मोड़ती है

जब किस्मत हमें जोड़ती है

दूरियों को तू महीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले.....

आजा छोटा सा जीवन है

चार दिनों का यौवन है

हर मौसम ही सावन है

खुशी  को तू आमीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले....

हम दोनों है और कोई नही

कोई तेरा नही कोई मेरा नही

तू जहाँ है मैं हूँ वहीं

आसमां को तू जमीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले...

दूरी में हर परेशानी है

ये कैसी बातें ठानी है

हमदोनों ही अभिमानी है

यादों को तू नमकीन कर ले

मुझ पर तू यकीन कर ले....

जितेन्द्र 'गीत'

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 29, 2013 at 11:32pm

आदरणीया श्रीमती मंजरी जी

रचना को आपने पसंद किया, रचना सार्थक हुयी, आपका बहुत बहुत आभार, आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 29, 2013 at 11:27pm

आदरणीय विजय निकोर जी

आपका बहुत बहुत आभार, आपने रचना पर समय देकर लेखनकर्म का मनोबल दोगुना कर दिया, आशीर्वाद व् स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 29, 2013 at 11:21pm

आदरणीय अरुण अनंत जी

रचना पर आपके मार्गदर्शन से बहुत ख़ुशी मिली, आपकी बात //रचना आपसे समय की मांग करती दीख रही है,// स्वीकार करता हूँ, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 29, 2013 at 11:05pm

आदरणीय बृजेश जी!
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। मुझे मान्य है आपके द्वारा सुझाया गया परिवर्तन।
आपका आभार आदरणीय बृजेश जी!

सादर!

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 2:45pm

  आदरणीय जितेन्द्र जी अच्छी रचन . बधाई

Comment by vijay nikore on August 24, 2013 at 7:36pm

आदरणीय जितेन्द्र जी:

 

इस अति मनमोहक भाव से सुसज्जित रचना के लिए बधाई।

आपकी और रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

 

सादर,

वि्जय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 24, 2013 at 12:47pm

आदरणीय जीतेंद्र भाई प्रयास बहुत ही सुन्दर बन पड़ा है किन्तु रचना आपसे समय की मांग करती दीख रही है, बहरहाल प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on August 24, 2013 at 12:27pm

बहुत अच्छा प्रयास है। कथ्य को और साधने का प्रयास करें।

//आज छोटा सा जीवन है

चार दिनों का यौवन है//

यदि इसको ऐसा कुछ लिखें-

‘आज तो यह यौवन है

चार दिनों का जीवन है’

तो कैसा रहेगा?

इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 23, 2013 at 11:51pm

आपकी उत्साह बर्धन करती अनुपम प्रतिक्रिया से मन में हर्ष की लहर दौड़ गई, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेन्द्र जी

सादर!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 23, 2013 at 11:00pm

आजा छोटा सा जीवन है

चार दिनों का यौवन है

हर मौसम ही सावन है

खुशी  को तू आमीन कर ले

प्रिय गीत जी ..अब आया न मजा ...जीवन हसीं हो जाए खुशियों के पंछी भोर होते ही चहक जाएँ तो आनंद और आये
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service