आग की एक चिंगारी
सियासत के तूफानी थपेड़े झेल ,
फैली मीलो एक चिंगारी,
मिटाने को आतुर ,
निगल लेने को सबकुछ,
अंतर न अपने का ना पराये का ,
ना जातिवाद कोई ना ही कोई धरम ,
मुंह खोल आगे को बढ़ी आती ,
ना देखती दोष किसी का ,
न निर्दोष की चिंता ,
ना कोई लालच न कोई गम ,
चिरनिंद्रा में सुलाने को आतुर ,
एक छोटी सी चिंगारी ,
ये दोष है हम सबका ,
या नियति का लिखा ,
एक भूल है हम सबकी ,
जो इसके शिशु काल में ,
इसको नही मिटाया है ,
आज आहुति दे अपनों की ,
हमने अग्निकुंड जलाया है ,
भुला दिया सब प्यार प्रेम ,
और आपसी भाईचारा ,
अहम् अपना बचाने को ,
अपनों ने अपनों को ललकारा ,
कैसा बीज बो गयी ,
ये छोटी सी चिंगारी ,
सबकुछ निगल लेने को,
आतुर है ये चिंगारी !
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की घटना से प्रेरित ...................ये कविता ..........................
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
भाई जी घटना से प्रेरित होकर रचना को लिखने का सुन्दर प्रयास किया है किन्तु मैं भी आदरणीय बागी भ्राताश्री जी सहमत हूँ शिल्प अभी और कसावट की मांग कर रहा है आपने न के साथ ना का प्रयोग किया है इससे बचें. रचना पर बधाई स्वीकारें.
एक दुखद सच को बयान करती सुंदर रचना ..सादर बधाई आदरणीय अनुराग जी
रचना मे कथ्य उभर कर आ रहे हैं किन्तु शिल्प पर और मेहनत की आवश्यकता है, बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय अनुराग भाई , बहुत सुन्दर रचना , दंगों के अन्दर का सच बयान करती !! वाह !!
भुला दिया सब प्यार प्रेम ,
और आपसी भाईचारा ,
अहम् अपना बचाने को ,
अपनों ने अपनों को ललकारा ,
कैसा बीज बो गयी ,
ये छोटी सी चिंगारी ,
सबकुछ निगल लेने को,
आतुर है ये चिंगारी ! ----------------------------- वाह !! बधई !!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online