तुम से न हो अगर बात तो बुरा लगता है,
तुम से न हो अगर मुलाकात तो बुरा लगता है!
तुमसे मिलने की तारीखें तो तय कर लूँ,
मगर हो जाये फिर बरसात तो बुरा लगता है!
हर पल है चाह तेरी हर पल तेरी ही आरजू है,
तेरे दीदार की दिल में कोई जुस्तजू जगी है,
न समझो तुम मेरे जज्बात तो बुरा लगता है!
सदियों से चाह है तेरे दीदार की,
अब तो हद हो गयी मेरे इंतज़ार की,
ये दिन तो बीत जाते है सदियों से लम्बे,
मगर बीत जाये चांदनी रात तो बुरा लगता है!
क्या अजब कशिश है मुझे ये तेरे इश्क की,
क्या कल्पनाये है आँखों में ये तेरे इश्क की,
क्या फिजाओं में है फैली महक तेरे इश्क की,
न समझो तुम मेरे हालात तो बुरा लगता है!
तुम से न हो अगर बात तो बुरा लगता है,
तुम से न हो अगर मुलाकात तो बुरा लगता है!
न जाने कितना भटका हूँ अभी तक तेरी तलाश में,
बहुत मय पी चूका हूँ तुझसे मिलने की प्यास में,
आँखों में सूनापन और फिर दिल हो गम्जात तो बुरा लगता है!
तुम से न हो अगर बात तो बुरा लगता है,
तुम से न हो अगर मुलाकात तो बुरा लगता है!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई अनुरागजी। लेकिन...... तारीफ ज्यादा करने से नखरे दिखाएगी ।
अच्छा प्रयास है आपका. आपको हार्दिक बधाई.
सच कहा आपने डॉ साहब बुरा तो लगता है बहुत बुरा लगता है ऐसे में, प्रयास बेहद अच्छा किया है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें.
सुन्दर रचना बनी है हार्दिक बधाई
टिपण्णी क्या करू कुछ समझ नहीं आता है
टिपण्णी न करू तो पढ़ा नहीं ऐसा लगता है
आदरणीय अनुराग जी , सुन्दर नज़्म की रचना हुई है !!! रचना के लिये बधाई !!
आदरनीय अनुराग जी ..
क्या फिजाओं में है फैली महक तेरे इश्क की,
न समझो तुम मेरे हालात तो बुरा लगता है!...शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई के साथ
क्या अजब कशिश है मुझे ये तेरे इश्क की,
क्या कल्पनाये है आँखों में ये तेरे इश्क की,
क्या फिजाओं में है फैली महक तेरे इश्क की,
न समझो तुम मेरे हालात तो बुरा लगता है!.........वाह! क्या खूब कहा..दिल को छू गई ये पंक्तियाँ
बहुत ही गहरी रचना , बहुत बहुत बधाई ,आदरणीय डा. अनुराग जी
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