For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी दिवस [दोहावली]

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान //

संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार
लाकर अब व्यवहार में ,दो इसको विस्तार //


मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //


पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //


हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा है इससे , महकाओ घर-बार //


स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //

हिंदी दिन की आपको ,बधाइयाँ हैं ढेर
हिंदी अपनाएं सभी अब काहे की देर //

          ...................................

..............मौलिक व अप्रकाशित ..............

Views: 1085

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 9:54am

आदरणीया बहन प्रवीन मलिक जी एवं अन्नपूर्णा  वाजपाई जी हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on September 15, 2013 at 9:40pm

आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस पर हिंदी के सम्मान में लिखे आपके दोहे आपकी भावनाओं को व्यक्त करने में सफल हैं. आपके इस प्रयास पर आपको ढेरों बधाई.

मेरा यह मानना है कि जब हम कई दोहे लिख रहे होते है तो हर दोहे का कथ्य भिन्न होना चाहिए. कथ्य की समानता प्रयास की सुन्दरता को कम करता है. वैसे आप स्वयं ज्ञानी हैं. हो सकता है कि आप मेरे इस मत से सहमत न हों.

इन पदों/चरणों का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ. कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें.

//भाषा सभी अलग अलग, अलग हैं संविधान//

 //मनालो संग प्यार//

//देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //

सादर!

Comment by Abhinav Arun on September 15, 2013 at 12:54pm

हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत सुन्दर सशक्त दोहे प्रस्तुत किये आपने आ/ सरिता जी जी बहुत बधाई और शुभकामनायें !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 15, 2013 at 12:10pm

आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत ही सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी के द्वारा दिए गए निर्देशों को समझें आगे दोहे लिखने में सरलता होगी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:55am

आदरणीय सरिता जी,  सादर प्रणाम!   सुन्दर दोहे। हिन्दी दिवस की ढेरों बधार्इ स्वीकार करें।   सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 14, 2013 at 11:34pm

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
कान में घोले मिसरी ,इसमें बसती जान //----मिसरी घोले कान में कर लें ---मिसरी में गुरुगुरु२ २ आ रहा है जब की लघु गुरु चाहिए विषम चरण के अंत में

भाषा सभी अलग अलग ,अलग हैं संविधान
हिंदी दिवस गौरव है ,हिंदी मेरी शान //--गौरव है हिंदी दिवस कर लें

मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //---बहुत सुन्दर

पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //---अच्छा है

हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //----उत्तम

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //----इसकी में गुरु गुरु आ गया ---अपनी भाषा/दैविक भाषा से सदा कर सकती हैं

स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस---भारत का में २ २ २ आ गए
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //----ये पद ठीक है

हिंदी दिवस की सबको ,बधाइयाँ हैं ढेर ----सबको में २ २ आ गए
हिंदी अपनाओ अभी काहे की है देर //--ये पद ठीक है
प्रिय सरिता जी आप प्रयास रत रहें ,हिंदी दिवस की शुभकामनायें

Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2013 at 8:53pm
सुन्दर दोहे है आदरणीया सरिता जी //
हिन्दी दिवस पर  हार्दिक बधाई !!

केवल भाषा ही नहीं ,है भारत की शान !
फहरे सारे विश्व में ,इसकी ध्वजा महान !!
Comment by annapurna bajpai on September 14, 2013 at 2:22pm
आदरणीया सरिता जी सुंदर अति सुंदर हिन्दी भाषा के लिए लिखी गई कविता हेतु आपको बहुत बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 14, 2013 at 1:59pm

आदरणीया सरिता ही , हिन्दी दिवस पर बहुत सार्थक दोहा वली की रच्ना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 1:41pm

निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ..बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल ..वाकई हिदी बहुत समृद्ध है ..इस दिशा में आपने जो कदम उठाया है अपने रचना के माध्यम से ..उसे सादर नमन करता हूँ ..मेरी तरफ से हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service