हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान //
संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार
लाकर अब व्यवहार में ,दो इसको विस्तार //
मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //
पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //
हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //
हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा है इससे , महकाओ घर-बार //
स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //
हिंदी दिन की आपको ,बधाइयाँ हैं ढेर
हिंदी अपनाएं सभी अब काहे की देर //
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..............मौलिक व अप्रकाशित ..............
Comment
आदरणीया बहन प्रवीन मलिक जी एवं अन्नपूर्णा वाजपाई जी हार्दिक आभार
आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस पर हिंदी के सम्मान में लिखे आपके दोहे आपकी भावनाओं को व्यक्त करने में सफल हैं. आपके इस प्रयास पर आपको ढेरों बधाई.
मेरा यह मानना है कि जब हम कई दोहे लिख रहे होते है तो हर दोहे का कथ्य भिन्न होना चाहिए. कथ्य की समानता प्रयास की सुन्दरता को कम करता है. वैसे आप स्वयं ज्ञानी हैं. हो सकता है कि आप मेरे इस मत से सहमत न हों.
इन पदों/चरणों का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ. कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें.
//भाषा सभी अलग अलग, अलग हैं संविधान//
//मनालो संग प्यार//
//देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //
सादर!
हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत सुन्दर सशक्त दोहे प्रस्तुत किये आपने आ/ सरिता जी जी बहुत बधाई और शुभकामनायें !!
आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत ही सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी के द्वारा दिए गए निर्देशों को समझें आगे दोहे लिखने में सरलता होगी.
आदरणीय सरिता जी, सादर प्रणाम! सुन्दर दोहे। हिन्दी दिवस की ढेरों बधार्इ स्वीकार करें। सादर,
हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
कान में घोले मिसरी ,इसमें बसती जान //----मिसरी घोले कान में कर लें ---मिसरी में गुरुगुरु२ २ आ रहा है जब की लघु गुरु चाहिए विषम चरण के अंत में
भाषा सभी अलग अलग ,अलग हैं संविधान
हिंदी दिवस गौरव है ,हिंदी मेरी शान //--गौरव है हिंदी दिवस कर लें
मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //---बहुत सुन्दर
पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //---अच्छा है
हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //----उत्तम
हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //----इसकी में गुरु गुरु आ गया ---अपनी भाषा/दैविक भाषा से सदा कर सकती हैं
स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस---भारत का में २ २ २ आ गए
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //----ये पद ठीक है
हिंदी दिवस की सबको ,बधाइयाँ हैं ढेर ----सबको में २ २ आ गए
हिंदी अपनाओ अभी काहे की है देर //--ये पद ठीक है
प्रिय सरिता जी आप प्रयास रत रहें ,हिंदी दिवस की शुभकामनायें
आदरणीया सरिता ही , हिन्दी दिवस पर बहुत सार्थक दोहा वली की रच्ना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ..बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल ..वाकई हिदी बहुत समृद्ध है ..इस दिशा में आपने जो कदम उठाया है अपने रचना के माध्यम से ..उसे सादर नमन करता हूँ ..मेरी तरफ से हार्दिक बधाई
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