For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अजीब विडम्बना है

अजीब विडम्बना है
कि अपने दुखों का कारण
अपने प्रयत्नों में नहीं खोजते
बल्कि मान लेते हैं
कि ये हमारा दुर्भाग्य है
कि ये प्रतिफल है
हमारे पूर्वजन्मों का...

अजीब विडम्बना है
जो मान लेते हैं हम
ब-आसानी उनके प्रचारों को
कि तंत्र-मन्त्र-यंत्र,
तावीजें-गंडे
शरीर में धारण कर लेने मात्र से
दूर हो जाएंगे हमारे तमाम दुःख !

अजीब विडम्बना है
लम्बी-लम्बी साधनाओं का
तपस्या का
मार्ग जानते हुए भी
हम खोजते हैं 'शार्ट-कट्स'
और इसी दरमियान कोई आकर
बताने लगता है दुखों का इलाज
बिना उसकी प्रामाणिकता जाने
मान लेते हैं उसे अपना 'कष्ट-निवारक'
गढ़ कर मूर्तियाँ
पूजने लगते हैं उसे....

अजीब विडम्बना है
कि एक दिन जानकार उसकी वास्तविकता
छिन्न-भिन्न हो जाता सब-कुछ
और हम ठगे-ठगे
राह में लुटे-पिटे
अपने विश्वास की वीभत्स ह्त्या-काण्ड का
देखते हैं नज़ारा....
खोजने लगते फिर
एक नया सहारा...

(मौलिक अप्रकाशित )

Views: 354

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on September 17, 2013 at 10:51pm

अजीब विडम्बना है
कि एक दिन जानकार उसकी वास्तविकता
छिन्न-भिन्न हो जाता सब-कुछ
और हम ठगे-ठगे
राह में लुटे-पिटे
अपने विश्वास की वीभत्स ह्त्या-काण्ड का
देखते हैं नज़ारा....
खोजने लगते फिर
एक नया सहारा... ...................................... बहुत सुंदर, पंक्तियाँ गूढ अर्थों को समेटे हुए । इस अनुपम रचना के लिए बहुत बधाई । आपको आ0 अनवर जी ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 16, 2013 at 11:52pm

अजीब विडम्बना है
कि अपने दुखों का कारण
अपने प्रयत्नों में नहीं खोजते
बल्कि मान लेते हैं
कि ये हमारा दुर्भाग्य है
कि ये प्रतिफल है
हमारे पूर्वजन्मों का..........बहुत सटीक व्  प्रभावी कथन

बहुत बढ़िया रचना, बधाई आपको आदरणीय अनवर साहब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2013 at 11:49am

कर्म की प्रधानता और अंधविश्वास की तक़लीफे बयान करती आपकी ये रचना बहुत सुन्दर लगी !!  आदरणीय अनवर जी बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service