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कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /
गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /
गरीबी हो अमीरी हो
कसम अपनी निभा जाना /
तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /
तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /
दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /
नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /
तुम्हें हम कह नहीं सकते
दिलों को अब मिला जाना //
..................................
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
छोटी बहर पर सुन्दर ग़ज़ल प्रयास आ० सरिता जी
हार्दिक बधाई
कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /
गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /
वाह वाह सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया सरिता जी !
आदरणीया मीना पाठक जी एवं आदरणीया सावित्री जी हार्दिक अभिनन्दन
भाई वीनस केसरी जी
मन प्रुफुल्लित हो उठा आपकी उत्साहित टिप्पिनी पाकर ,मेरा गजल लिखना सार्थक हुआ
भाई जितेन्द्र जी एवं आदरणीय डॉ. आशुतोष जी ह्रदय से आभारी हूँ आपको अशआर पसंद आए
आदरणीया अन्नपूर्णा जी एवं महिमा श्री जी हार्दिक आभार
हार्दिक आभार अरुण ऐसे हि उत्साहित एवं स्नेहिल टिप्पिनीओं की आशा है आपसे
आदरणीय रविकर जी आप किसी भी विधा में टिप्पिनी कीजिए बस आपका आशीर्वाद मिलता रहे यही कामना है
शालिनी जी शुक्रिया
सरिता जी, सुन्दर ग़ज़ल ,बधाई हो।
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