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...वर्ष का आखिरी दिन...

बीत जायेंगे फिर
ये दिन गिन-गिन
फिर वही भागम-भाग
...जीविका की फिर वही ताक-धिन
लम्हा-लम्हा भरती
बालों में चांदी
जुड़ते यादों में फिर
अनगिनत पल-छिन
क्या खोया-क्या पाया
उस 'हिसाब' से पहले
हिसाब का 'अभ्यास' कराता
वर्ष का
आखिरी दिन...

© AjAy Kum@r

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Comment

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Comment by AjAy Kumar Bohat on January 3, 2011 at 8:25pm
Shukriya Neelam ji & Dr.Sanjay ji....
Comment by Neelam Upadhyaya on January 3, 2011 at 10:41am
Bahut hi sunder rachana.....Badhayee.
Comment by Dr. Sanjay dani on January 3, 2011 at 8:31am
अच्छी रचना बधाई।

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