For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात की चांदनी मैं जो तू बे-नकाब हो जाए 
खुदा  का चाँद  भी फिर लाजबाव हो जाए 

.

तेरे गुलाबी होंठों पे जो गिर जाए शबनम 
बा-खुदा शबनम खुद शराब हो जाए 

.
तेरी उदासी से होती है सीने मैं चुभन 
तू जो हंस दे तो काँटा गुलाब हो जाए 

.

उम्र भर हाथों मैं लेकर पढता ही रहूँ 
तेरा चेहरा गर  कोई किताब हो जाए 

.
हुस्नवाले संवर सकती है शायरी मेरी 
कभी हमराह मेरे जो तेरा शबाब हो जाए  

 

-सचिन देव -
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1229

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 5:15pm

सादर नमस्कार, वीनस केसरी जी आपके विचारों को जानकर मन मैं व्याप्त कुछ शंकाओं / आशंकाओं का पटाक्षेप हुआ .... और ये निराधार ही साबित हुईं, और किसी भी वे-वजह के विवाद कि स्तिथि उत्पन्न होने से बच गई, जिसकी कि आपकी कल की क्रिया की अपनी प्रतिक्रिया पर होने की आशंका थी..., किन्तु आपने मेरे जवाव मैं छिपे मेरे इरादों को समझा और मैं अपने जवाव से आप को किसी भी प्रकार से आश्वस्त कर सका तो ये मेरे लिए सुकून की बात है ... और आपकी शुभकामनाएं पाकर काफी उत्साहित महसूस कर रहा हूँ... ! आपके विचारों का सदैव स्वागत रहेगा.... ! हार्दिक आभार आपका ! 

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 4:44pm

हाँ भाई मेरा कमेन्ट थोडा तीखा, थोडा कठोर था, मगर यकीन जानिये आप अपने विचार को स्पष्ट रूप से रखें इसके लिए ये आवश्यक था,
आप मंच पर बने रहें
विधागत मूलभूत तत्वों को जानें समझें
यही कामना है
यही शुभकामना है
जब हम सामने वाले की बात को काटने के लिए कुछ भी कहना शुरू कर देते हैं तो एक दिन हम अपनी बात भी काट देते हैं और विरोधाभास पैदा होता है, यदि हमारी एक विधारधारा हो तो ऐसी नौबत कभी नहीं आती ,,,,

आपका स्पष्ट मुखर हो कर कहना कि,
मुझे लगता है शायद अब मैंने सीखने की दिशा मैं सही राह पकड़ ली है ... तो फिलहाल कहीं और जाने का इरादा नही है ....

मंच को आश्वस्त करता है और इस दिशा में आपके बढाए कदम की सराहना करता हूँ
निरुत्साहित न होईये, हर बात का एक अर्थ होता है उन अर्थों के साथ स्वीकारने पर हम समझ को विस्तार देते हैं
आपका तहे दिल से स्वागत है

सादर

Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 12:52pm

सादर नमस्कार महोदया वीनस केसरी जी ... आपकी प्रतिक्रिया का सही आशय मैं समझ नहीं पा रहा हूँ , जैसा कि आपने खुद कहा मैं पहले से ही दिग्भ्रमित हूँ अपनी रचना की विधा के बारे मैं ... और फिर आपके ये कम से कम कुछ कठोर शब्दों से भरी प्रतिक्रिया थोडा निरुत्साहित सा ही करती है ..... यधपि आपके द्वारा कही गई अंतिम पंक्ति 
आशा करता हूँ आगे आपकी विधाजन्य रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी,,, कम से कम कोशिश तो आप कर ही सकते हैं ... 
इतनी कठोरता के बीच थोड़ी सी उम्मीद जगाती है और हौसला देती है ... बाकी .... आपके द्वारा कही बातों का आपकी ही भाषा मैं उत्तर देना फिर से इस मंच पर वही घिसा - पिटा विवाद उत्पन्न करेगा ... और रही बात राह पकड़ने की ... तो मुझे लगता है शायद अब मैंने सीखने की दिशा मैं सही राह पकड़ ली है ... तो फिलहाल कहीं और जाने का इरादा नही है .... बस इतना ही कह सकता हूँ विनम्रता के साथ .... आपके विचारों का सदा स्वागत रहेगा महोदय.... शुक्रिया 


Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 12:43pm

आदरणीया अनुपमा बाजपेई जी .... प्रयास की सराहना हेतु .... आपका हार्दिक आभार ! 

Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 12:42pm

प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक धन्यबाद ब्रिजेश जी... और आपकी सलाह हेतु ह्रदय से आभार... निश्चित ही इस पर अमल करने का प्रयास रहेगा .... ! 

Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 12:40pm

आदरणीय विजय निकोर जी .... आपका हार्दिक शुक्रिया प्रोत्साहन के लिए ... ! 

Comment by Sachin Dev on September 26, 2013 at 12:39pm

आदरणीय मीना पाठक जी... आपका हार्दिक आभार ... रचना पर अपने विचार देने के लिए ..... ! 

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 3:12am

महोदय आप एक कमेन्ट में कहते है -

//. इस पर इतना ही कहना चाहूँगा भाई कि आप जिसे गजल कह रहे हैं, उसे मैं सिर्फ अपने मन से निकली एक रचना कहता हूँ..//

फिर आगे दूसरे कमेन्ट में आप लिखते हैं -

// आपका हार्दिक शुक्रिया चंद्रशेखर पाण्डेय जी ... जो आपने गजल की भावना को मान दिया ! //

ऐसा विरोधाभास ??? !!!!
भाई ज़रा आप स्पष्ट करेंगे कि आप इस काव्य रचना को किस विधा के अंतर्गत मानते हैं ???

और आपको सचेत कर दूं कि आपका रटा-रटाया घिसा-पिटा.. /काव्य को काव्य रहने दो कोई नाम न दो/ यहाँ ओबीओ पर नहीं चलेगा 

बहर का इतना ही भय है तो रदीफ काफिया से क्यों उलझे पड़े हैं ???
अतुकांत लिखिए, कहानी लिखिए, उपन्यास लिखिए

ये आपस में सीखने सिखाने का मंच है,,,, सीखना हो तो मन से सीखिए,
वाहवाही के शौक़ीन हों तो फेसबुक की राह लगिये

आशा करता हूँ आगे आपकी विधाजन्य रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी,,, कम से कम कोशिश तो आप कर ही सकते हैं ...

Comment by annapurna bajpai on September 25, 2013 at 11:27pm

आदरणीय सचिन जी काफी  अच्छा प्रयास है , बहुत सुंदर , बधाई आपको । 

Comment by बृजेश नीरज on September 25, 2013 at 9:55pm

अच्छा प्रयास है. इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

इस मंच पर ग़ज़ल की कक्षा नाम से एक समूह है. कृपया वहां पर जो पोस्ट हैं उन्हें देखें, बहुत लाभ होगा.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service