For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

आकर्षक चमकीले लोग

केंचुल में ज़हरीले लोग |

 

आत्ममुग्धता की परिणति हैं

सुन्दर सुघड सजीले लोग |

 

भूख की आंच पे चढ़ते हैं नित

खाली पेट पतीले लोग |

 

झंझावाती जीवन सागर

हम शंकित रेतीले लोग |

 

चीर हरण करते आँखों से

कुंठाओं के टीले लोग |

 

स्वार्थ की धूप में पानी पानी

बे उसूल बर्फीले लोग |

 

पथरीली चौपाल देश की

चर्चा में पथरीले लोग |

 

गांव में आकर शहर खा गये

परिश्रमी फुर्तीले लोग |

 

गिरगिट जैसा रंग बदलते

चापलूस चमचीले लोग |

 

ज़्यादातर अव्वल आला हैं

अवसरवादी ढीले लोग |

 

 

Views: 395

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 6:09am
आशा दीदी नमस्कार !! आपने गज़ल पढ़ी , सराही , और प्रतिक्रिया दी मैं आभारी हूँ | .. अब मैं आपकी वो गज़ल ढूँढता हूँ जो इसके करीब है (... हा हा हा ..)| अक्सर भावनाएँ ..संवेदनाएं ..स्थितियां ... और शब्द संस्कार एक से हो तो रचना में साम्यता संभव हो जाती है आप स्वयं एक सशक्त रचनाकार हैं .. आप खोऊब आगे बढ़ें खूब लिखें प्रसिद्ध हो ..यही कामना है | स्नेह बनाये रखियेगा | नवीन जी भी अक्सर यही बात कहते हैं की मेरी ग़ज़लों में उनकी अपनी ग़ज़लों की परछाई दिखती हैं | मैं तो अपने को वास्तव में एक सीखता हुआ हाशिए का साहित्यकार मानता हूँ और साहित्यकार कहा जाना बड़ी बात है मैं तो एक एक्टिविस्ट हूँ जो सामजिक विसंगतियों पर अपने को कहने से रोक नहीं पाता बिना लागलपेट के |पुनः आभार आशा दीदी !!!
Comment by asha pandey ojha on January 10, 2011 at 7:58pm
वाह अरुण भइया .. मेरी एक रचना से बहुत करीब है यह ...गज़ल .. जो मैंने ओ बी ओ पर बहुत पहले साझा की .. बहुत कमल की गज़ल कही आपने 
Comment by Abhinav Arun on January 3, 2011 at 2:59pm

शेष जी आभार और नव वर्ष मंगलमय हो !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service