हौंसला चाहिए जहाँ में मोहब्बत पाने के लिए !
मोहब्बत जताने के लिए , मोहब्बत निभाने के लिए !
रुश्वायियाँ मिला नही करती खैरात में !
इज्ज़त से भी खेलना पड़ता है , इन्हें पाने के लिए !
बहुत मशहूर है शराबी अपने हाल पर !
हस्ती भी मिट जाती है , ये शोहरत पाने के लिए !
दिल का हाल कभी उस बाजारू नारी से पूछो !
मजबूर होती है जो बाज़ार में बिक जाने के लिए !
बस्ती मिटाने वालो पलभर को तो जरा सोच लो !
जवानी बुढापे में बदल जाती है एक आशियाँ बनाने के लिए !
सफ़र की कीमत उस पंछी से पूछ लो !
जो मीलो उड़ा हो सूरज को पाने के लिए !
गुजरा वक़्त कभी फिर वापस नही लौटता !
ना जाने क्यों ठहरा है आज मुझे रुलाने के लिए !
मंजिल की तमन्ना किस मुसाफिर को नही दोस्तों !
मगर कोई तो हमराह चाहिए साथ निभाने के लिए !
हम तो अपनों पे ही भरोसा करके खुद को लुटा बैठे !
वरना दुश्मन तो कोई था ही नही हराने के लिए !
जिद है की अब हम भी तुर्बत से ना निकलेंगे बाहर !
लाख दिए जला ले वो हमको मनाने के लिए !
------------------डॉ. अनुराग सैनी --------------------
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया जितेन्द्र जी
बेहद सुंदर गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय अनुराग जी
शुक्रिया आपका
गुजरा वक़्त कभी फिर वापस नही लौटता !
ना जाने क्यों ठहरा है आज मुझे रुलाने के लिए !
मंजिल की तमन्ना किस मुसाफिर को नही दोस्तों !
मगर कोई तो हमराह चाहिए साथ निभाने के लिए !
बहुत सुन्दर .... हार्दिक बधाई स्वीकारें
बहुत बहुत शुक्रिया
सुंदर गज़ल बधाई आपको आदरणीय अनुराग जी ।
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