निगाहें फेर लो , कि पल भर सुकून मेरे तडपते दिल को मिले !
तेरी नजरों की तपिस मुझसे सही नही जाती !
मेरी बेवफाई को हो रहा है शोर जमाने में , की तू भी मुझे बेवफा कहे !
बात सच है मगर लबों पर तेरे नहीं आती !
होकर बेसुध सोये थे कभी तेरे बांहों के घेरो में, अब ना तु बांहे फैला !
ये सच है की गुजरी घडी कभी लौटकर नही आती !
सुना है कि गमजदा है तु बीते पलो की ख्वाईस में, कि अब उनको भुला दे !
मुझे तो पल भर के लिए भी याद तेरी नही आती !
मेरा तुझसे बिछड़ना लिखा था नसीब में , कि सच मान ले !
होनी ,अनहोनी जो लिखी है वो टाली नही जाती !
रचना ---------------डॉ. अनुराग सैनी -------------------
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया!
प्रिय डॉ अनुराग जी ...
होकर बेसुध सोये थे कभी तेरी बांहों के घेरो में, अब ना तू बांहे फैला !
ये सच है कि गुजरी घड़ी कभी लौटकर नही आती !
सुन्दर भाव ..ऐसा भी हो जाता है
भ्रमर ५
आदरणीय अनुराग भाई , बहुत सुन्दर गीत रचना के लिये हार्दिक बधाई !!
मेरी बेवफाई का हो रहा है शोर जमाने में-
बहुत बढ़िया आदरणीय-
शुभकामनायें-
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