For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन की अंतर्वेदना , कहीं बह ना जाए आंसुओ में !

बहुत टुटा हूँ ,समेट लो बाजुओं में !

अपमान के ना जाने कितने घूंट पी चूका !

पर प्यासा हूँ , डूब जाने दो आँखों में !

घना होता जाता है ये अन्धकार क्यों ?

एक दिया तो उम्मीद का जलाओ रातो में !

तिरस्कार किया गया , हिकारत से देखा गया !

ना जाने कैसा भाग्य है मेरे इन हाथो में !

लौट जाओ कि अब रंगीन जवानी गुजर चुकी !

हासिल होगा क्या  अब इन मुलाकातों में !

आदत सी हो गयी है जख्मो पे मरहम न लगा !

बार बार उपहार सरीखे मिलते है मुझे आघातों में !

भोर हो गयी है , निंद्रा टूट गयी है !

वरना बर्बाद बहुत हुआ हूँ तेरे वादों में !

-----------डॉ. अनुराग सैनी ------------

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 27, 2013 at 7:17am

 //गज़ल लिखना तो शायद बस में नही है //

आदरणीय अनुराग भाई , ऐसी बात बिलकुल नही है आप भी प्रयास करें तो ग़ज़ल लिख सकते है , बस एक बार तय कर लीजिये सीखना है तो सीख जायेंगे , ये ओबीओ का मंच  सौभाग्य से मिलता है , मेरी प्रार्थना है फायदा उठा लीजिये ! आप बहुत गुणी लोगों के बीच है !! सादर !!

Comment by बृजेश नीरज on September 26, 2013 at 10:05pm

जब रचना ऐसी हो कि वो विधा विशेष की लगे पर हो न और उस पर भी रचनाकार की तरफ से ये उल्लेख न हो कि वास्तव में उसने क्या रचने का प्रयास किया है तो पाठक के लिए मुश्किल ही होती है कि वो रचना पर क्या कहे, खासकर ओबीओ जैसे मंच पर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 9:01pm

भावों को शिल्प का आवरण भी देने का प्रयत्न करें आदरणीय ताकि सम्प्रेषण प्रभाव छोड़ने में सक्षम हो... 

सादर शुभेच्छाएँ 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 25, 2013 at 6:50pm

आदरणीय गज़ल लिखना तो शायद बस में नही है क्योंकि इस फन की समझ नही है बस एक शौंक है लिखने का , आप सभी के मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की आकांक्षा सदैव रहेगी ! बहुत आभार सभी का !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 5:43pm

आदरणीय अनुराग भाई , सुन्दर रच्ना के लिये आपको बहुत बधाई !!

Comment by Saarthi Baidyanath on September 25, 2013 at 5:10pm

बहुत बढ़िया .... कोशिश को प्रणाम ..! लिखते रहिये साहब :)

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 25, 2013 at 3:02pm

आभार आप सभी महानुभावो का !

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 25, 2013 at 2:46pm

आदरणीय प्रयास अच्छा है किन्तु बहर और शिल्प पर आपको ध्यान देना है रचना आपसे श्रम की मांग कर रही है प्रयासरत रहें साथ ही साथ यहीं ओ बी ओ पर पाठशाला में जाकर ग़ज़ल की कक्षा या ग़ज़ल की बातें का अनुसरण कर ग़ज़ल सीखें. आप जल्द ही सुधार महसूस करेंगे. इस प्रयास पर बधाई

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 1:48pm

प्रयास अच्छा है आदरणीय डाक्टर साहब। बधाई। बह्र और कहन में सुधार की गुंजाईश हमेशा होती है, इस लिहाज से आप पुनर्विचार कर लें। आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service