कैकई के मोह को
पुष्ट करता
मंथरा की
कुटिल चाटुकारिता का पोषण
आसक्ति में कमजोर होते दशरथ
फिर विवश हैं
मर्यादा के निर्वासन को
बल के दंभ में आतुर
ताड़का नष्ट करती है
जीवन-तप
सुरसा निगलना चाहती है
श्रम-साधना
एक बार फिर
धन-शक्ति के मद में चूर
रावण के सिर बढ़ते ही जा रहे हैं
आसुरी प्रवृत्तियाँ
प्रजननशील हैं
समय हतप्रभ
धर्म ठगा सा आज है फिर
राम ! तुम कहाँ हो ?
=====================
--बृजेश नीरज
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय अरुण जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय आशुतोष जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय बृजेश भाई वाह अत्यंत संवेदनशील प्रस्तुति, राम ! तुम कहाँ हो ? भाई जी मेरा ह्रदय भी कई कई बार यही गुहार लगाता है. गहन भाव भरी पंक्तियाँ ह्रदय स्पर्श कर गई, क्षुब्ध ह्रदय से निकली सुन्दर रचना हेतु दिल से बधाई स्वीकारें.
आदरणीय नीरज जी ..दशहरे के इस पर्व पर सबसे पह्हले आपको ढेरो बधाईयों एवं इस सुंदर रचन पर हार्दिक बधाई के साथ
आदरणीय जीतेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!
आसुरी प्रवृत्तियाँ
प्रजननशील हैं
समय हतप्रभ
धर्म ठगा सा आज है फिर
राम ! तुम कहाँ हो ?
बेहद गहन, सदा की तरह, बहुत प्रभावशाली रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीय बृजेश जी
आदरणीय केवल भाई जी आपका हार्दिक आभार!
........क्या कहने? वाह....बहुत सुन्दर कविता। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। आदरणीय बृजेश भार्इजी, सादर,
आदरणीय अभिनव जी आपका हार्दिक आभार!
आदरणीय अमन जी आपका हार्दिक आभार!
अपनी समझ भर ही लिख सका इसे! यदि आप कुछ मार्गदर्शन दें तो शायद मेरा प्रयास आपके लिए संतुष्टिकारक बन सके!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online