For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिले नादान आ जाना [ गजल ]

दिले नादाँ  पिया आना
दिले महफिल सजा जाना /

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /


सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /

सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /

नहीं तकरार करना अब
करें इज़हार आ जाना /

अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //

..................................

    मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:43pm

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /.....बहुत खूब.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:55pm

ये भी ग़ज़ल है ! यों,  इसे उन्नत गीत के रूप में ढाला जा सकता था.

खैर ... .

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:58pm

आदरणीय गुरुदेव अरुण निगम जी ,अरुण आपका हार्दिक आभार उचित मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:57pm

आदरणीय बागी जी हार्दिक आभार आपकी बहुमूल्य टिप्पिनीओं से ही अपनी लेखनी का मूल्यांकन कर पाती हूँ ,बार बार बिजली की वजह से यहाँ आकर कोई जवाब दिए बिना हि जाना पड़ा उसका मुझे अफ़सोस है 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:55pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी हार्दिक आभार आपका कहना सही था 

मैंने दिले नादाँ को ठीक कर लिया है 

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 5:53pm

आदरणीय शकील जमशेद्पुरी जी ,आदरणीय आशुतोष जी ,आदरणीय सुशील जोशी जी ,आदरणीया शशि पुवार जी ,आदरणीय ब्रिजेश जी सभी का हार्दिक अभिनन्दन 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2013 at 3:21pm

आदरणीया सरिता भाटिया जी, प्रस्तुति पर प्राप्त टिप्पणियों को आप acknowledge नहीं कर रही है, जिससे यह पता ही नहीं चलता कि आप पाठकों की बातों को पढ़ पा रही हैं । 

सादर ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 17, 2013 at 12:11am

आदरणीया सरिता जी, बढ़िया गज़ल, बधाई...........

Comment by shashi purwar on October 16, 2013 at 5:11pm

accha prayas hai badhai

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:42pm

अच्छा प्रयास है! कोशीशें सही दिशा में हैं. आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service