For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो कौन है,

 

अतीत जैसा पास है,

या कि मेरा आज है,

व आगे का एहसास है|

मैं फंसा इन उलझनों में, सोचता,

वो कौन है|

 

जो गा सकूँ वो गान है,

कि मिला सकूँ वो तान है,

या कि मेरा सम्मान है|

ये सुलझ जाए पहेली, जान लूँ,

वो कौन है|

 

मधुरव भरा वो साज है,

या कि नवोढ़ा लाज है,

मेरे लिए क्यूँ राज है?

एक रूप सदिश बने तब, कह सकूँ,

वो कौन है|

 

गुल है वो कि बाग़ है,

धुन कोई या राग है,

या ओस है कि आग है|

सुन्घू कि गाऊं या जलूं, अज्ञात कि,

वो कौन है|

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on January 24, 2011 at 7:40pm
bahut sundar.. bahut achchhe..
Comment by आशीष यादव on January 21, 2011 at 3:49pm
Dr.Brijesh Kumar Tripathi सर यदि आप अपनी कविता  लिंक भेज दे तो मुझे आसानी रहेगी|
Comment by आशीष यादव on January 21, 2011 at 3:47pm
संतोष सर, राजू भाई, भाष्कर भाई, लता जी, एस० डी० सर, परब्रह्म जी एवं अरुण सर . आप लोगो को सादर धन्यवाद|
Comment by आशीष यादव on January 21, 2011 at 3:41pm
सादर धन्यवाद वीरेंदर सर, वही तो मेरे भी समझ में  नहीं आ रहा कि वो है कौन|
Comment by आशीष यादव on January 21, 2011 at 3:40pm
कविता सराहने के लिए सादर धन्यवाद  बागी जी| वैसे तो मैंने केवल यही रचना की है, अगर कमी महसूस हो रही है तो कृपया उसमे कुछ सुधार कर मेरा मार्ग दर्शन करें|
Comment by Abhinav Arun on January 21, 2011 at 12:39pm

वाह आशीष जी --बहुत खूब क्या रवानी और अदायगी ... बधाई !!

 

""मधुरव भरा वो साज है,

या कि नवोढ़ा लाज है,

मेरे लिए क्यूँ राज है?

एक रूप सदिश बने तब, कह सकूँ,

वो कौन है|""

Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on January 21, 2011 at 9:23am
आशीष जी ,
सादर वन्दे.
वो कौन है ... बहुत ही सुन्दर और रहस्यवाद शैली की अनुपम कृति है इसे मेरे साथ साझा करने के लिए आभार ....इसी शीर्षक से मैंने भी एक कविता पोस्ट की है अपने अमूल्य विचारों से उसकी समीक्षा करेंगे तो अच्छा लगेगा...... अभिनन्दन
Comment by Akshay Thakur " परब्रह्म " on January 21, 2011 at 8:08am
Sundar likha hai bhai :)
Comment by Lata R.Ojha on January 20, 2011 at 7:17pm
ati sundar .. badhai :)
Comment by Raju on January 20, 2011 at 5:08pm
bahut badhiya kavita ASHISH BHAI

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service