For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूरा देश महंगाई के मार से पस्त है .महंगाई नियंत्रण की कही कोई उम्मीद नहीं दिख रही है .पक्ष बिपक्ष लगातार बयानबाजी कर रही है लेकिन निदान किसी के पास नहीं है.और यह सब तब हो रहा है जब इस देश की बागडोर एक कुशल अर्थशास्त्री डा.मनमोहन सिंह के हाथ में है.ये वो अर्थशास्त्री है जिन्होंने भारत को उस संकट से निकला था ,जब पूरा देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी .इन्होने अपने अर्थशास्त्र और कौशल परिचय देते हुए भारत को उस मुसीबत से निकाला और एक विस्वसनीय योद्धा बन कर सामने आये. वर्ष २००४ से लेकर २००९ तक इनका कार्यकाल ठीक रहा और शायद जनता ने इन्हें अपने योग्य समझा शायद इसीलिए दूसरी बार जनाधार दिया और एक बार फिर सत्ता में काबिज रहे .लेकिन अफ़सोस की वर्ष २००९ से लेकर आजतक मनमोहन की सरकार लगातार मुसीबतों में घिरी हुई नजर आ रही है .पिछले डेढ़ सालों में जितने घोटाले उभर कर सामने आयें है ,शायद इतने घोटाले इतने कम समय में पहले कभी नहीं आये थे .घोटाले के साथ साथ महंगाई भी काफी बढती चली गयी ...जो की आज १९ फीसदी से भी ज्यादा हो गयी है.अब ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या मनमोहन की माया इस कमरतोड़ महंगाई को रोक पायेगी.कभी पेट्रोल बढती है तो कभी सी एन जी .और प्याज का तो पूछना ही नहीं है.मनमोहन जी को याद करना चाहिए की इसी प्याज को लेकर एक बार वाजपेयी जी की सरकार जा चुकी है .प्याज ऐसी चीज है जिसका हर वर्ग के लोगो को जरुरत है.कहा जाता है की गरीब है" प्याज रोटी खाता होगा".लेकिन अगर उच्च वर्ग के लोग भी है तो उनको भी पनीर -दो-प्याजा की जरुरत है.ऐसे में पुरे भारत वर्ष के लोग घुटन महसूस कर रही है .ऐसे में हमें डा.मनमोहन सिंह को डा.महंगाई सिंह कहने में तनिक भी संकोच नहीं होगा .

Views: 356

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2011 at 1:32pm
रत्नेश भाई , जनता त्रस्त है और नेता मस्त है , इन्हे तो सही सुविधायें उपलब्ध है , भाड़ मे जाये जनता , अभी वोट थोडे लेना है , जब लेना होगा तब सपनो का सब्जबाग दिखायेंगे और सभी संटेंस फ्यूचर टेंस मे बोलेंगे |
Comment by Abhinav Arun on January 14, 2011 at 12:59pm

रत्नेश जी सही कहा आपने डॉ मनमोहन सिंह अपनी नीतियों से जनता का मन मोह तो नहीं सके उलटे उसे उनकी नीतियां परेशान कर रही हैं |

मैंने लिखा था --

" सबकुछ सोनी या मोहन सावन के अंधे ,

बाजीराव हुई मस्तानी लोकतंत्र में |"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service