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पूरा देश महंगाई के मार से पस्त है .महंगाई नियंत्रण की कही कोई उम्मीद नहीं दिख रही है .पक्ष बिपक्ष लगातार बयानबाजी कर रही है लेकिन निदान किसी के पास नहीं है.और यह सब तब हो रहा है जब इस देश की बागडोर एक कुशल अर्थशास्त्री डा.मनमोहन सिंह के हाथ में है.ये वो अर्थशास्त्री है जिन्होंने भारत को उस संकट से निकला था ,जब पूरा देश का सोना गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी .इन्होने अपने अर्थशास्त्र और कौशल परिचय देते हुए भारत को उस मुसीबत से निकाला और एक विस्वसनीय योद्धा बन कर सामने आये. वर्ष २००४ से लेकर २००९ तक इनका कार्यकाल ठीक रहा और शायद जनता ने इन्हें अपने योग्य समझा शायद इसीलिए दूसरी बार जनाधार दिया और एक बार फिर सत्ता में काबिज रहे .लेकिन अफ़सोस की वर्ष २००९ से लेकर आजतक मनमोहन की सरकार लगातार मुसीबतों में घिरी हुई नजर आ रही है .पिछले डेढ़ सालों में जितने घोटाले उभर कर सामने आयें है ,शायद इतने घोटाले इतने कम समय में पहले कभी नहीं आये थे .घोटाले के साथ साथ महंगाई भी काफी बढती चली गयी ...जो की आज १९ फीसदी से भी ज्यादा हो गयी है.अब ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या मनमोहन की माया इस कमरतोड़ महंगाई को रोक पायेगी.कभी पेट्रोल बढती है तो कभी सी एन जी .और प्याज का तो पूछना ही नहीं है.मनमोहन जी को याद करना चाहिए की इसी प्याज को लेकर एक बार वाजपेयी जी की सरकार जा चुकी है .प्याज ऐसी चीज है जिसका हर वर्ग के लोगो को जरुरत है.कहा जाता है की गरीब है" प्याज रोटी खाता होगा".लेकिन अगर उच्च वर्ग के लोग भी है तो उनको भी पनीर -दो-प्याजा की जरुरत है.ऐसे में पुरे भारत वर्ष के लोग घुटन महसूस कर रही है .ऐसे में हमें डा.मनमोहन सिंह को डा.महंगाई सिंह कहने में तनिक भी संकोच नहीं होगा .

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 14, 2011 at 1:32pm
रत्नेश भाई , जनता त्रस्त है और नेता मस्त है , इन्हे तो सही सुविधायें उपलब्ध है , भाड़ मे जाये जनता , अभी वोट थोडे लेना है , जब लेना होगा तब सपनो का सब्जबाग दिखायेंगे और सभी संटेंस फ्यूचर टेंस मे बोलेंगे |
Comment by Abhinav Arun on January 14, 2011 at 12:59pm

रत्नेश जी सही कहा आपने डॉ मनमोहन सिंह अपनी नीतियों से जनता का मन मोह तो नहीं सके उलटे उसे उनकी नीतियां परेशान कर रही हैं |

मैंने लिखा था --

" सबकुछ सोनी या मोहन सावन के अंधे ,

बाजीराव हुई मस्तानी लोकतंत्र में |"

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