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बेटी..रजनी ! तुम्हारे मामाजी के लड़के से, तुम्हारी ननद याने अपनी गायत्री की शादी, तय हो ही गई, मैं बहुत खुश हूँ, बस..! उन लोगो से लेनदेन की बात संभाल लेना, तुम तो जानती ही हो. आजकल महंगाई आसमान छू रही है.......सुलोचना जी ने अपनी बहु को बेटी बनाकर, बड़े ही प्यार से कहा..

जी हाँ..! माँ जी..महंगाई तो पिछले वर्ष भी आसमान से टिकी हुयी थी, जब आपने मेरे मायके वालों से लाखों का सोना और पूरी गृहस्थी का सामान मांग लिया था..खैर, वैसे मैंने मामाजी को फालतू खर्च की बजाय, मंदिर से शादी के लिए राजी कर लिया है.......रजनी ने अपनी सास के नहाने के गर्म पानी में, थोडा ठंडा पानी डालते हुए कहा..

   जितेन्द्र ' गीत '

 ( मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 9:12am

आदरणीय संदीप जी, बहु की यहाँ अपने स्वयं की जिम्मेदारी है, उसने सास को एक सन्देश दिया है कि आपके उस व्यवहार के बाबजूद मैं अपने घर की जिम्मेदारी को खूब समझती हूँ, उसे पता है कि आज की महंगाई व् फिजूल खर्च को बचा लिया जाय तो , उसका परिवार भविष्य में आर्थिक समस्याओं से बचा रहेगा, शादियों में खोखली वाहवाही से कुछ नहीं होता, रही बदले की बात तो अपनों से कैसा बदला..! लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 8:49am

आप का कहना सच है, आदरणीय अविनाश जी, जब अपने पर आती है तो इन्सान नए रूप ले लेता है, आपने रचना पर दृष्टी डाली, लेखन कर्म को बहुत मनोबल मिला, आपका बहुत बहुत आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 8:44am

आपका हृदय से आभार आदरणीय विजय जी, लेखन पर आपके स्नेहिल आशीर्वाद की सदा आवश्यकता रहेगी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 8:41am

लघुकथा पर आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया हेतु, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय नादिर साहब, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 8:39am

आदरणीय बृजेश जी, आपके//टाइपिंग की गलतियों और कहन की मजबूती व शिल्प पर और काम करने की जरूरत है!// कहने अनुसार मैं पूर्णत: प्रयासरत हूँ, आपका हृदय से आभार,स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 8:35am

आदरणीय डा. अनुराग जी, आपका हृदय से आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 1:52am

लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया हेतु, आपका हार्दिक आभार आदरणीया शुभांगना जी, सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 1:49am

आपने रचना को पसंद किया,आपका हृदय से आभार आदरणीय शिज्जू जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 1:13am

आपने रचना को सराहा, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 1:10am

सर्वप्रथम आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय डा. गोपाल जी, यह आपने बिलकुल सच कहा है अपने पर आती है तभी शायद का बोध होता है, कि उससे समय रहते क्या गलतियाँ हुई थी, अपना स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

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