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एक बार हमें भी लगा कि हमें शायर बनना चाहिये हमने शुरुआत की, हमने शुअरा को पान खाते देखा तो हमें लगा यह भी शायर बनने के लिये ज़रूरी है सो हमने शुरुआत यहीं से की l

आनन फानन कुछ अशआर लिख मारे और छपवाने के लिये मशहूर अखबार के दफ़्तर गये जहाँ हमें हमारी शख़्सियत को देखते हुये संपादक से मिलने का सौभाग्य मिला l

संपादक महोदय ने ऊपर से नीचे तक हमें देखा और हमारे हाथ से लेकर हमारी रचनाये पढ़ने के बाद संपादक महोदय ने कुछ कहने की भी जहमत नही उठाई, वो अपने मनहूस लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे उन्होने कुछ किया और लैपटॉप का स्क्रीन हमारी तरफ कर दिया और इशारे से सुनने को कहा l

पुलिस बने अभिनेता अवतार गिल कह रहे थे- “आप शराफत से बाहर जायेंगे या धक्के देकर बाहर निकालूँ”

और हमारे शायर बनने का सपना टूट गया l

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by coontee mukerji on December 4, 2013 at 10:33pm

क्या अ‍ॅंदाज़ है. हा हा..................

Comment by ram shiromani pathak on December 4, 2013 at 9:12pm
सुन्दर प्रस्तुति भाई साहब … आप बीती तो नहीं ??????? हां हा हा हा हा हा । बहुत बहुत बधाई आपको

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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:13pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तपन जी


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:12pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका आभार


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:12pm

बहुत बहुत शुक्रिया भाई अरुण जी 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:10pm

बिल्कुल सही कहा आदरणीय योगराज सर आपने, रचना के अनुमोदन के लिये आपका धन्यवादl  जय ओ बी ओ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:07pm

आदरणीया डॉ प्राची जी रचना को सराहने के लिये आपको धन्यवाद


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 8:06pm

शराफत से बाहर आना पड़ा गीतिका जी मेरी फिल्मी बेइज़्ज़ती मैं किसी को बताना नही चाहता था,


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 7:54pm

आदरणीय अखिलेश सर आपने अच्छा उपाय बताया अगली बार ज़रूर आजमाऊंगा। तारीफ के लिये शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 4, 2013 at 7:52pm

आदरणीय गणेशजी आपको हँसाने में कामयाब रहा लिखना सफल हुआ, शुक्रिया आपका

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