फाइलातुन फइलातुन फइलुन/फैलुन
मुझ पे इलज़ाम अगर लगता है
आपके ज़ेरेअसर लगता है
तुझमे खूबी न जिसे आये नज़र
वो बड़ा तंगनज़र लगता है
इक दिया हमने जलाया था कभी
अब वही शम्सो क़मर लगता है
ढूंढ आये हैं ख़ुशी हम घर घर
ये हमें आखिरी घर लगता है
यूँ तो है बात बड़ी छोटी पर
बात करते हुए डर लगता है
एक तेरे ही नहीं होने से
ये ज़हां ज़ेरोज़बर लगता है
रुख पे मुस्कान, जिगर में खंज़र
ये तो उनका ही हुनर लगता है
सरपरस्ती जो मिली ऐसा लगा
धूप में जैसे शज़र लगता है
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फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फा
ग़र्द को हमने जब अपना सामान किया
कुछ तो तेरा रस्ता ही आसान किया
तुमने जितने पत्थर फेंके थे घर में
सबने मेरे घर को आलीशान किया
उनके किस्से छेड़ के महफ़िल में समझो
आखिर तुमने अपना ही नुक्सान किया
कुछ बातों ने ला दी महफ़िल में रौनक
लेकिन कुछ कुछ बातों ने हैरान किया
आखिर कब तक फ़र्ज़ निभाता रहता वो
रोज़ के फाकों ने उसको बेईमान किया
पूरा हिस्सा छीन लिया थोड़ा देकर
उस पर कहते हो हमने एहसान किया
नींव का बस इक पत्थर तुमने खिसकाकर
क्या जानो क्या तुमने ऐ नादान किया
कितनी खुश थीं शह्र की जिंदादिल सड़कें
कुछ तक़रीरों ने फिर शह्र वीरान किया
थोड़ी जान अभी तक उसमे बाकी थी
आपकी तंजिया बातों ने बेजान किया
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय राणा साहेब
मज़ा आ गया.. एक से बढ़कर एक खूबसूरत ख़याल ..और दोनो ग़ज़लों मे आपने कमाल की गिरह लगाई है..बस ज़िंदाबाद ..ज़िंदाबाद की आवाज़ दिल से निकल रही है..
बहुत मुबारकबाद..खुश रहिए
1. तुझमे खूबी न जिसे आये नज़र
वो बड़ा तंगनज़र लगता है
यूँ तो है बात बड़ी छोटी पर
बात करते हुए डर लगता है
रुख पे मुस्कान, जिगर में खंज़र
ये तो उनका ही हुनर लगता है
सरपरस्ती जो मिली ऐसा लगा
धूप में जैसे शज़र लगता है
2.
ग़र्द को हमने जब अपना सामान किया
कुछ तो तेरा रस्ता ही आसान किया
उनके किस्से छेड़ के महफ़िल में समझो
आखिर तुमने अपना ही नुक्सान किया
कुछ बातों ने ला दी महफ़िल में रौनक
लेकिन कुछ कुछ बातों ने हैरान किया
नींव का बस इक पत्थर तुमने खिसकाकर
क्या जानो क्या तुमने ऐ नादान किया
थोड़ी जान अभी तक उसमे बाकी थी
आपकी तंजिया बातों ने बेजान किया
मोहतरम सलीम रजा साहब शेर पसंद करनें के लिए तहे दिल से शुक्रिया
आदरणीया वन्दना जी गज़लें पसंद करने के लिए शुक्रिया
आदरणीय सौरभ जी गज़लें पसंद करने के लिए शुक्रिया
आदरणीय डा ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ग़ज़लों को पसंद करने के लिए शुक्रिया
आदरणीय गिरिराज जी नवाजिशों के लिए धन्यवाद
आदरणीया कुंती जी ग़ज़लों को पसंद करने के लिए शुक्रिया
वीनस भाई जो शेर आपने कोट किये हैं मुझे भी पसंद हैं .शेष,,,,, तरही तो आपकी ही है :-)
भाई राम शिरोमणि पाठक जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया
आदरणीय नादिर खान साहब ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया
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