For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने कब तक (नवगीत)

जाने कब तक 
चले खेल सारा 
 
साँस के तार 
जब तक जुड़े है 
देह की ये 
पतंगे उड़े है 
 
है महज-
उँगलियों का इशारा   … 
जाने कब तक 
चले खेल सारा 
 
हमने देखा है 
अपना रवैया 
काम हो तो 
करें दादा-भैया 
 
ढंग जायज़ 
नहीं ये हमारा    .... 
जाने कब तक 
चले खेल सारा 
 
ये व्यवस्था का 
जोड़ो-घटाना 
गुणा -भाग का 
है तराना  
 
इसके आगे 
नहीं कोई चारा   .... 
जाने कब तक 
चले खेल सारा 
 
कर्म अच्छे 
अगर हम करेंगे 
बाद अपने भी 
जिन्दा रहेंगे 
 
रखें  पाक  
सत्संग की धारा 
जाने कब तक 
चले खेल सारा 
.
(अप्रकाशित-मौलिक रचना )
अविनाश बागड़े 

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on January 9, 2014 at 10:16pm

Meena Pathak ji

आपकी हौसला अफ़ज़ाई से अभिभूत हूँ 

Comment by shashi purwar on January 9, 2014 at 10:06pm

sundar bhav , sundar rachna badhai aapko ,

Comment by S. C. Brahmachari on January 9, 2014 at 8:36pm
जाने कबतक चले खेल सारा ? ~~~~~ आपकी रचना मे जीवन का दर्शन छुपा है ... हार्दिक बधाई आपको ! बरबस मुझे ये गीत याद आ रहा है ~~~ इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल , जग मे रह जाएँगे प्यारे तेरे बोल .... कोई निशानी छोड फिर दुनियाँ से डोल ............
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 9, 2014 at 8:17pm
कर्म अच्छे 
अगर हम करेंगे 
बाद अपने भी 
जिन्दा रहेंगे ................बहुत सुंदर सार्थक सन्देश
बधाई स्वीकारें आदरणीय अविनाश जी
Comment by annapurna bajpai on January 9, 2014 at 7:08pm

आ0 अविनाश जी सुंदर नवगीत हेतु बधाई स्वीकारें ।  

Comment by Meena Pathak on January 9, 2014 at 6:42pm
कर्म अच्छे 
अगर हम करेंगे 
बाद अपने भी 
जिन्दा रहेंगे 
 
रखें  पाक  
सत्संग की धारा 
जाने कब तक 
चले खेल सारा .............. बहुत सुन्दर नवगीत .. बधाई आप को | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service