For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो मुर्गे की बांग
वो चिडियों की चीं-चीं
वो कोयल की कूक
अब वो भोर कहाँ ..


वो जांत का घर्र-घर्र
वो चूड़ी की खन-खन
वो माई का गीत
अब वो भोर कहाँ ..


वो कंधे पर हल
वो बैलों की जोड़ी
वो घंटी का स्वर
अब वो भोर कहाँ ..


वो पहली किरन
वो अर्घ-अचवन
वो पार्थी की पूजा
अब वो भोर कहाँ ..


वो माई की टिकुली
वो पीला सिन्दूर
वो पायल की छम-छम
अब वो भोर कहाँ ..


वो मिट्टी का चूल्हा
वो बटुली का अदहन
वो मकुनी की रोटी
अब वो भोर कहाँ ..


गाड़ियों का शोर
बाई की खट-खट
से होती है भोर..


अब वो भोर कहाँ ||
*******************

मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on February 15, 2014 at 12:02pm

आदरणीय आशुतोष जी रचना सराहने हेतु सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on February 15, 2014 at 12:01pm

बहुत बहुत आभार आ० अन्नपूर्णा जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 10:08am

आदरणीया मीना जी अतीत की सुखद स्मृतियों की चर्चा करता गीत हमें सोचने को बिबश करता है की वाकई हमने क्या खोया क्या पाया ..मेरी तरफ से इस सृजन पर शानदार बधाई  के साथ ..सादर 

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 7:49pm

सुंदर गीत , बधाई आ0 मीना दी । 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 3:36pm

परम आदरणीय विजय निकोर जी रचना पर स्नेह और आशीष के लिए हृदय से आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 3:33pm

प्रिय जितेन्द्र जी, आ० हेमंत जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 3:26pm

आदरणीय डा० अनिल जी सरहना और मार्गदर्शन हेतु सादर आभार 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 3:25pm

आदरणीया शशि जी, आदरणीय गिरिराज जी रचना पर उपस्थिति और सराहना हेतु बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on February 13, 2014 at 3:22pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, आदरणीय शुज्जू जी, आदरणीय पंकज जी रचना सराहने हेतु सादर आभार स्वीकार कीजिये 

Comment by vijay nikore on February 13, 2014 at 11:59am

आपकी यह भावपूर्ण रचना पढ़ कर बचपन की कई पुरानी यादें सामने आ गई हैं । बधाई, आदरणीया मीना जी।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल  221    1221   1221    12 ये ज़िन्दगी  अहबाब…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service