जो मुस्का दो खिल जाये मन
---------------------------------
खिला खिला सा चेहरा तेरा
जैसे लाल गुलाब
मादक गंध जकड़ मन लेती
जन्नत है आफताब
बल खाती कटि सांप लोटता
हिय! सागर-उन्माद
डूबूं अगर तो पाऊँ मोती
खतरे हैं बेहिसाब
नैन कंटीले भंवर बड़ी है
गहरी झील अथाह
कौन पार पाया मायावी
फंसे मोह के पाश
जुल्फ घनेरे खो जाता मै
बदहवाश वियावान
थाम लो दामन मुझे बचा लो
होके जरा मेहरबान
नैन मिले तो चमके बिजली
बुत आ जाए प्राण
जो मुस्का दो खिल जाए मन
मरू में आये जान
गुल-गुलशन हरियाली आये
चमन में आये बहार
प्रेम में शक्ति अति प्रियतम हे!
जाने सारा जहान
--------------------
"मौलिक व अप्रकाशित"
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२०.०२.२०१४
४.३०-५ मध्याह्न
करतारपुर जालंधर पंजाब
Comment
प्रिय डॉ मिश्र जी रचना की प्रस्तुति नारी के प्रति प्रेम और सौंदर्य ने आप के मन को प्रभावित किया प्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५
प्रिय जितेन्द्र जी रचना के भाव आप को प्यारे लगे लिखना सार्थक रहा आभार
भ्रमर ५
आदरणीय गिरिराज भाई रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५
बेहद सुदर रचना ..नारी के सौंदर्य को समाहित किये हुए इस बिशेस गीत के लिए तहे दिल धन्यवाद .सादर
बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सुरेन्द्र जी
आदरणीय सुरेन्द्र भाई , सुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिये आपको बहुत बधाइयाँ ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online