For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो मुस्का दो खिल जाये मन

जो मुस्का दो खिल जाये मन 

---------------------------------

खिला खिला सा चेहरा  तेरा

जैसे लाल गुलाब

मादक गंध जकड़ मन लेती

जन्नत है आफताब

बल खाती कटि सांप लोटता

हिय! सागर-उन्माद

डूबूं अगर तो पाऊँ मोती

खतरे हैं बेहिसाब

नैन कंटीले भंवर बड़ी है

गहरी झील अथाह

कौन पार पाया मायावी

फंसे मोह के पाश

जुल्फ घनेरे खो जाता मै

बदहवाश वियावान

थाम लो दामन मुझे बचा लो

होके जरा मेहरबान

नैन मिले तो चमके बिजली

बुत आ जाए प्राण

जो मुस्का दो खिल जाए मन

मरू में आये जान

गुल-गुलशन हरियाली आये

चमन में आये बहार

प्रेम में शक्ति अति प्रियतम हे!

जाने सारा जहान

--------------------

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

२०.०२.२०१४

४.३०-५ मध्याह्न

करतारपुर जालंधर पंजाब

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 24, 2014 at 9:00pm

प्रिय डॉ मिश्र जी रचना की प्रस्तुति नारी के प्रति प्रेम और सौंदर्य ने आप के मन को प्रभावित किया प्रोत्साहन के लिए  आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 24, 2014 at 8:58pm

प्रिय जितेन्द्र जी रचना के भाव आप को प्यारे लगे लिखना सार्थक रहा आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 24, 2014 at 8:44pm

आदरणीय  गिरिराज  भाई रचना  आप  के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी
 आभार
भ्रमर ५

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 24, 2014 at 11:35am

बेहद सुदर रचना ..नारी के सौंदर्य को समाहित किये हुए इस बिशेस गीत के लिए तहे दिल धन्यवाद .सादर  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 23, 2014 at 8:40am

बेहद सुंदर भावपूर्ण रचना, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सुरेन्द्र जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 8:58pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , सुन्दर भाव अभिव्यक्ति के लिये आपको बहुत बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service