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बहुत शोर है यहाँ......

बहुत शोर है यहाँ

बहुत ज़्यादा

मैं कैसे वो आवाज़ सुन सकूँ

जो मेरे लिए है

 

कितनी ही देर कानों पर हाथ लगा

सब अनसुना करती रही

लेकिन

शोर इतना है कि मेरी हथेलियों को

भेद कर मेरे कानों पर बरस पड़ता है

मष्तिष्क की हर नब्ज़ थर्राने लगी है

नसों में आक्रोश भर गया है

 

अजीब शोर है यहाँ

जलन, ईर्षा, द्वेष, अपमान का,

भेदभाव का शोर

धधकता, जलाता शोर

इस तरहा बढ़ता जाता है कि

इच्छाशक्ति इसके प्रभाव से

क्षीण होती जाती है

कैसे सहन करूँ?

किस तरहा निर्वाह करूँ?

 

कई बार निश्चय किया

आवाज़ उठाऊँ, परास्त कर दूँ

इन कर्कश स्वरों को

पर अपनों से युद्ध,

जीतना और

शिकस्त देना आसान नहीं है

 

मन का एक कोना

रोता है, बिलखता है जो अक्सर

भय से, आश्चर्य से घटित हो रहे

सिलसिलेवार आघात पर चौंकता है

 

रोज़ सवाल उठता है

कैसे अपने ही

घातक प्रहार कर देते हैं मन पर,

ह्रदय पर, भावनाओं पर

जिसकी चोट सीधे आत्मा को लगती है

और जिसके ज़ख्म

गहरे बहुत गहरे होते जाते हैं

जो दुखते है, चुभते है और रिसते हैं

 

ये कैसा शोर और किस कारण

आपसी द्वेष, नासमझी या

आपसी प्रतियोगिता के कारण

 

अपनों का होना सहारा होना है या

इस प्रकार के बैर का होना

जैसे निर्रथक, खोखला, बेमायने और

बेमतलब होना……..

 

इस शोर को ख़त्म करना है

प्रयत्न बहुत हुए अब तक पर

अब प्रण करना है

इस शोर में

अपनी आवाज़ को बुलन्द करना है

 

हाँ अब.........

सब को ख़ामोश करना है …….…

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

प्रियंका……

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Comment

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Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:37am

आदरणीया सौरभ सर ....बहुत बहुत शुक्रिया आपका .....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:36am

आदरणीया प्राची जी ....आपकी नज़र और रचना पर प्रतिक्रिया के लिए ....बहुत बहुत आभार ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:34am

आदरणीय जितेन्द्र सर...रचना की पसंदगी और सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आपका .....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:32am

 आदरणीय बृजेश सर....रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:30am

आदरणीय विजय सर जी.......रचना आपको अच्छी लगी, मेरा लिखना सार्थक हुआ।

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:26am

आदरणीय ओमप्रकाश सर .....बहुत बहुत आभार आपकी प्रशंसा के लिए ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:25am

आदरणीय गिरीराज सर .....ये सामाजिक कुरीति है और इतना शोर है की मुझे लिखने पर मज़बूर कर दिया ......मेरी रचना को आपकी नज़र मिली ....बहुत बहुत आभार आपका ....

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:23am

आदरणीय श्याम जी ....आपकी पसंदगी का शुक्रिया.... 

Comment by Priyanka singh on March 31, 2014 at 9:22am

आदरणीय शिज्जू सर ....बहुत बहुत शुक्रिया आपका ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 8:03pm

एक अच्छी कविता को साझा करने के लिए धन्यवाद.

हार्दिक शुभकामनाएँ

कृपया ध्यान दे...

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