देख चुनावी वर्ल्ड कप, का सज गया मैदान
ट्रोफी इसकी पाने को , सब नेतागन परेशान
सोच रहे हैं सब कैसे, मतदाता को रिझायें
कम ओवर मैं अब कैसे, रन तेजी से बनायें
कैसे उसे मनाये जो, मतदाता पहले से रूठा
निकल जाये न मैच, कैच जो हाथों से छूटा
जो बॉलर भी आये समक्ष, उसको मारो बल्ला
चाहे चौका लग न पाये, मचे छक्के का हल्ला
जीतेंगे है हर हाल मैं हमतो, ठोंक रहे हैं ताल
गति गेंद की तेज रहे चाहे, हो जाये नो बाल
नेता अनुभवी तो यहाँ रन करे बिना रिस्क
मुर्गा-दारु, नोटों से वोटों को करता फिक्स
गेंद है वोटर के हाथ निशाना ऐसा लगावें
बुरे करें रन आउट, अच्छे संसद पहुचावें
( मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय अन्नपूर्णा जी, रचना पर प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार !
वाह !! इस सुंदर रचना हेतु बधाई स्वीकारें ।
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, रचना पर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका !
आदरणीय सचिन भाई , चुनावी माहौल पर बहुत सुन्दर कटाक्ष किया है , इस कविता के लिये आपको बधाई ॥
आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी, रचना आपको पसंद आई उस पर आपने बहुमूल्य विचार रखे उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका !
आपका हार्दिक आभार आदरणीय राजेश्कुमारी जी रचना पर प्रोत्साहित करते विचारों के लिए !
बहुत बढ़िया रचना , आपने बहुत सुन्दरता से क्रिकेट और चुनाव का तालमेल बिठाया है पढ़कर मन खुश हो गया. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय सचिन जी
वाह वाह ....बहुत बढ़िया कटाक्ष के साथ सार्थक मंतव्य भी शानदार रचना बधाई आपको
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