For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता : पूँजीवादी मशीनरी का पुर्ज़ा

मैं पूँजीवादी मशीनरी का चमचमाता हुआ पुर्ज़ा हूँ

मेरे देश की शिक्षा पद्धति ने

मेरे भीतर मौजूद लोहे को वर्षों पहले पहचान लिया था

इसलिए फ़ौरन सुनहरे सपनों के चुम्बक से खींचकर

मुझे मेरी जमीन से अलग कर दिया गया

अभिभावकों और अध्यापकों ने

कभी मार से तो कभी प्यार से

मेरी अशुद्धियों को दूर किया

अशुद्धियाँ जैसे मिट्टी, हवा और पानी

जो मेरे शरीर और मेरी आत्मा का हिस्सा थे

तरह तरह की प्रतियोगिताओं की आग में गलाकर

मेरे भीतर से निकाल दिया गया भावनाओं का कार्बन

ताकि मैं मशीन की तीव्र गति से उत्पन्न आघातों से

एक बारगी टूटकर बिखर न जाऊँ

और मशीन को न सहना पड़ जाय भारी नुकसान

मुझमें मिलाया गया तरह तरह की सूचनाओं का क्रोमियम

ताकि हवा, पानी और मिट्टी

मेरी त्वचा तक से कोई अभिक्रिया न कर सकें

अंत में मूल वेतन और महँगाई भत्ते से बने साँचे में ढालकर

मुझे बनाया गया सही आकार और नाप का

मैं अपनी निर्धारित आयु पूरी करने तक

लगातार, जी जान से इस मशीनरी की सेवा करता रहूँगा

बदले में मुझे इसके और ज्यादा महत्वपूर्ण हिस्सों में

काम करने का अवसर मिलेगा

मेरे बाद ठीक मेरे जैसा एक और पुर्जा आकर मेरा स्थान ले लेगा

मैं पूँजीवादी मशीनरी का चमचमाता हुआ पुर्ज़ा हूँ

--------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 28, 2014 at 10:15am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ Saurabh जी। स्नेह बना रहे।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 28, 2014 at 10:14am

बहुत बहुत शुक्रिया Arun जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2014 at 1:04am

मशीन की ज़िन्दग़ी मात्र टेक्निकल व्यक्तियों की ही नहीं होती, यह एक ऐसी जीवन-शैली है जो हर युग में सपहलता के ट्रैक पर दौड़ते लोगों की रही है. आदमी के लगातार रोबो बनते चले जाने की प्रक्रिया को जिस संवेदनाके साथ प्रस्तुत करने की कोशिश हुई है, उसके लिए साधुवाद, आदरणीय धर्मेन्द्रजी.
आपकी शैली की इस कविता के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Arun Sri on May 2, 2014 at 10:56am

लग रहा है कि किसी इंजिनियर की कविता पढ़ रहा हूँ ! :-))
कविता एक  पूरी उम्र की जद्दोजहद को सामने रख रही है ! मशीन के पुर्जे की आवाज किसी मर रहे इंसान की चीखों से मिलती है बहुत ! लेकिन करें भी क्या सभी रेस में हैं ! जो नहीं दौडेगा वो कुचल कर मर जाएगा या अकेलेपन से ! 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:48am

बहुत बहुत धन्यवाद प्राची जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:47am

बहुत बहुत धन्यवाद सत्यनारायण जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:47am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ जितेन्द्र जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:46am

बहुत बहुत धन्यवाद आशुतोष जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:45am

बहुत बहुत धन्यवाद गिरिराज जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2014 at 10:45am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया कुन्ती जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service