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चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे
प्यार के फूल हम तो खिलाते रहे
अब भरोसा नहीं जिन्दगी का हमे
दर्द सह कर उसे हम मनाते रहे
जिन्दगी प्यार उनको सिखाती रही
और वो जिन्दगी को भुलाते रहे
साथ वो चल दिये है किसी गैर के
प्रीत की रीत हम तो निभाते रहे
आज की रात हम मर न जाये कही
पास अपने उसे हम बुलाते रहे
बात जब है चली बेवफाई की तो
बेवफा कह हमे वह बुलाते रहे
बात उनकी करे ना करे हम मगर
याद मे उन की आँसू बहाते रहे
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
उत्साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय सौरभ पांडे जी
बात उनकी करे ना करे हम मगर
याद मे उन की आँसू बहाते रहे... वाह !
भाईजी, बह्र साधने का सुन्दर प्रयास हुआ है. आप बहुत मेहनत कर रहे हैं.. यह प्रशंसनीय है.
शुभेच्छाएँ
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
आदरणीय अखण्ड भाई , सुन्दर ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय डाक्टर आशुतोष मिश्रा जी
आदरणीय अखंड जी ..प्रेम में पगी इस शानदार ग़ज़ल के माध्यम से एक सच्चे आशिक के चरित को बखूबी उभारा है आपने ..मेरी तरफ से तहे दिल बधाई सादर
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीया coontee mukerji जी
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीया Meena Pathak जी
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय Madan Mohan saxena जी
आपके उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्वीकार करे आदरणीयShyam Narain Verma जी
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