For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1221 2212
चोट खाते रहे मुस्‍कुराते रहे
प्‍यार के फूल हम तो खिलाते रहे
अब भरोसा नहीं जिन्‍दगी का हमे
दर्द सह कर उसे हम मनाते रहे
जिन्‍दगी प्‍यार उनको सिखाती रही
और वो जिन्‍दगी को भुलाते रहे
साथ वो चल दिये है किसी गैर के
प्रीत की रीत हम तो निभाते रहे
आज की रात हम मर न जाये कही
पास अपने उसे हम बुलाते रहे
बात जब है चली बेवफाई की तो
बेवफा कह हमे वह बुलाते रहे
बात उनकी करे ना करे हम मगर
याद मे उन की आँसू बहाते रहे

 
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 618

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on June 2, 2014 at 11:04am

उत्‍साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय सौरभ पांडे जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 11:35pm

बात उनकी करे ना करे हम मगर
याद मे उन की आँसू बहाते रहे... वाह !

भाईजी, बह्र साधने का सुन्दर प्रयास हुआ है. आप बहुत मेहनत कर रहे हैं.. यह प्रशंसनीय है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Akhand Gahmari on May 23, 2014 at 9:35pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 23, 2014 at 9:26pm

आदरणीय अखण्ड भाई , सुन्दर ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by Akhand Gahmari on May 23, 2014 at 7:00pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय डाक्‍टर आशुतोष मिश्रा जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 5:15pm

आदरणीय अखंड जी ..प्रेम में पगी इस शानदार ग़ज़ल के माध्यम से एक सच्चे आशिक के चरित को बखूबी उभारा है आपने ..मेरी तरफ से तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Akhand Gahmari on May 21, 2014 at 12:07pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीया coontee mukerji जी

Comment by Akhand Gahmari on May 21, 2014 at 12:07pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीया Meena Pathak जी

Comment by Akhand Gahmari on May 21, 2014 at 12:06pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीय Madan Mohan saxena जी

Comment by Akhand Gahmari on May 21, 2014 at 12:06pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है मेरा प्रणाम स्‍वीकार करे आदरणीयShyam Narain Verma जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service