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जिन्दगी भर जिसे हमने इश्क सिखाया था
बेवफा हम नहीं हमने उसे बताया था
दिल दुखाया नहीं हमने कभी न माने वो
आग में जल पड़े दुश्मन गले लगाया था
बात भी प्यार से वाे अब कभी नही करते
चाँदनी रात में जिसने कभी बुलाया था
हम मनाते रहे कसमे जिसे सभी देकर
मौत की नीद भी हमको वही सुलाया था
जल रहा आशियाना मेरे दिल का यारो
चैन न पाये वो जिसने मुझे जलाया था
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
उत्साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करे आदरणीया कोन्टी मुखर्जी जी
उत्साहवर्धन एवं मागर्दशन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करे आदरणीय डा0 आशुतोष मिश्रा जी
इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई सादर
बहुत सुंदर और रूमानी गज़ल .......
बात भी प्यार से वाे अब कभी नही करते
चाँदनी रात में जिसने कभी बुलाया था......हार्दिक बधाई.
बडी प्रसन्ना तू आदरणीय आपको आज अपने पोेस्ट पर देख कर काफी दिनो बाद और कितने को माफ करे सबने जलाने की ठान लिया एक को हम जला देगे तो कोई आगे हिम्मत नहीं करेगा हमे जलाने का आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्तवा जी मेरा चरणस्पर्श स्वीकार करें
चैन न पाए वो जिसने मुझे जलाया था
गोया आप माफ़ करनेके मूड में नहीं है ? तो यही सही i
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