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‘’हमारे रिश्ते‘ -अतुकांत (गिरिराज भंडारी)

‘’ हमारे रिश्ते ‘’

*****************

अगर रिश्ते सच में हैं , तो

मीलों की दूरियाँ

कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती

मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है

 

रिश्ते , मृग मरीचिका नहीं होते

कि , पास पहुँचें तो नज़र न आयें

भावनायें प्यासी रह जायें

 

रिश्ते

रेत मे लिखे इबारत भी नही होते

कि ,सफल हो जायें, जिसे मिटाने में

समय के समुद्र में उठती गिरती कमज़ोर लहरें भी

रिश्ते

शिला लेख की तरह होते हैं

समय के समुद्र में सुनामी भी आये

वैसे ही लिखे मिलेंगे ,

लहरों के शांत हो जाने के बाद

 

और मुझे यक़ीन है

हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं

शिला लेख हैं

जिसे समय या मीलों की दूरियाँ

मिटा नहीं सकेंगी  

****************

मौलिक एवँ अप्रकशित

 

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Comment

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Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 31, 2014 at 6:52pm

छोटे भाई गिरिराज,

पश्चिम की हवा के साथ बह जाने की आदत और नकलचीपन से हम सब के रिश्तों मे भी खोखलापन और बनावटीपन आ गया है । मित्र हो या रिश्तेदार प्रायः नकली मुस्कान के साथ एक दूसरे को धोखा देते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी वो गर्माहट और प्यास लगातार कम होती जा रही है।

दिल से लिखी गई यह कविता पढ़कर अच्छा लगा, सच्चाई भी है । सचमुच रिश्ते शिला लेख की तरह हैं जो मिटते नहीं, लेकिन

समय की धूल इसे दबा देती हैं इसलिए देख भाल और सफाई ( मिलते जुलते रहना ) जरूरी है। वर्ना यूरोप अमेरिका तो बरसों से प्रयासरत हैं कि हम टूटें ,बिखरें और उनके जैसे बेदर्द और बेरहम हो जायें। महानगरीय सभ्यता में पल रहे परिवारों के लिए यह

कविता और भी जरूरी है।

इस रचना के लिए हृदय से बधाई।   

   

 

 

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2014 at 3:03pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय गिरिराज जी  बहुत बहुत बधाई आपको।।।।।।।।।।।    सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:44pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:44pm

आदरणीया सरिता जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:43pm

आदरणीय आशुतोष भाई , आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:42pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:42pm

आदरणीया बिन्दु की , सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:41pm

आदरणीय सुशील भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:36pm

आदरणीया कुंती जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 31, 2014 at 1:35pm

आदरणीय शयाम भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

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