‘’ हमारे रिश्ते ‘’
*****************
अगर रिश्ते सच में हैं , तो
मीलों की दूरियाँ
कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती
मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है
रिश्ते , मृग मरीचिका नहीं होते
कि , पास पहुँचें तो नज़र न आयें
भावनायें प्यासी रह जायें
रिश्ते
रेत मे लिखे इबारत भी नही होते
कि ,सफल हो जायें, जिसे मिटाने में
समय के समुद्र में उठती गिरती कमज़ोर लहरें भी
रिश्ते
शिला लेख की तरह होते हैं
समय के समुद्र में सुनामी भी आये
वैसे ही लिखे मिलेंगे ,
लहरों के शांत हो जाने के बाद
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी
****************
मौलिक एवँ अप्रकशित
Comment
छोटे भाई गिरिराज,
पश्चिम की हवा के साथ बह जाने की आदत और नकलचीपन से हम सब के रिश्तों मे भी खोखलापन और बनावटीपन आ गया है । मित्र हो या रिश्तेदार प्रायः नकली मुस्कान के साथ एक दूसरे को धोखा देते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी वो गर्माहट और प्यास लगातार कम होती जा रही है।
दिल से लिखी गई यह कविता पढ़कर अच्छा लगा, सच्चाई भी है । सचमुच रिश्ते शिला लेख की तरह हैं जो मिटते नहीं, लेकिन
समय की धूल इसे दबा देती हैं इसलिए देख भाल और सफाई ( मिलते जुलते रहना ) जरूरी है। वर्ना यूरोप अमेरिका तो बरसों से प्रयासरत हैं कि हम टूटें ,बिखरें और उनके जैसे बेदर्द और बेरहम हो जायें। महानगरीय सभ्यता में पल रहे परिवारों के लिए यह
कविता और भी जरूरी है।
इस रचना के लिए हृदय से बधाई।
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत बधाई आपको।।।।।।।।।।। सादर
आदरणीय लक्ष्मण भाई , सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीया सरिता जी , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय आशुतोष भाई , आपका बहुत शुक्रिया ॥
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीया बिन्दु की , सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥
आदरणीय सुशील भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीया कुंती जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय शयाम भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online