For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम नीलाभ
नीरव गगन में
ध्रुवतारे की तरह
अविचल
कैसे रह लेते हो?
शायद तुममें
मानव-मन की
विचलन
का बोध नहीं .

या स्थितिप्रज्ञ हो गए हो.

विजयप्रकाश
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 748

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 19, 2014 at 1:56pm

आ० विजय निकोर जी,प्रशंसा के लिए बहुत- बहुत आभार.

Comment by vijay nikore on June 19, 2014 at 1:48pm

अति सुन्दर प्रस्तुति। बधाई विजय जी।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 18, 2014 at 9:37am

आदरणीय
सौरभ पाण्डेय जी ,
नमस्कार -
हार्दिक आभार।
स्नेह बनाये रखें .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2014 at 2:11am

कर्म करते हुए भी उससे प्रभावित न होना या कर्म के प्रति दायित्वबोध किन्तु अपेक्षा कोई नहीं, जैसी उच्च भावना को आपने शब्दबद्ध किया है, आदरणीय विजय प्रकाश जी. ऐसे कर्म संधान को कर्मयोग कहते हैं तथा ऐसे कर्मरतों को ही कर्मयोगी कहते हैं. यह अवश्य है कि स्थितप्रज्ञ की अवस्था चैतन्य-अवस्था का चरम पहलू हुआ करता है. यह निर्विकार एवं निर्लिप्त मनस का परिचायक अवश्य है, किन्तु, निठल्लेपन का पर्याय नहीं.
आपकी इस सचेत प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद
सादर

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 12, 2014 at 8:13pm

आभार अन्नपूर्णा जी.

Comment by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:36pm

सुंदर भाव !! 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 12, 2014 at 7:29pm

आभार गिरिराज भाई.स्नेह बनाये रखें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 12, 2014 at 5:42pm

आदरणीय विजय भाई , स्थिति प्रज्ञता पर सामान्य तौर पर होने वाली जिज्ञासा को सुन्दर शब्द मिले हैं , बधाई ॥

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 11, 2014 at 12:51pm

धन्यवाद .

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 11, 2014 at 11:30am

डॉ. प्राची!आभार
आपने तो भगजोगनी (जुगनू ) को चाँद बना दिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
9 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service