For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 1122 22

बिजलियाँ हैं न हवा सावन में

गुज़री बेआब घटा सावन में

 

गर्म रातें ये सहर भी बेचैन

यूँ बुरा हाल हुआ सावन में

 

गुल खिले हैं न शिगूफ़े हँसते

है न रंगों का पता सावन में

 

खेत तालाब शजर भी सूखे

आसमाँ सूख गया सावन में

 

मुन्तज़िर सर्द फुहारों के अब

थक गई है ये फ़िज़ा सावन में

 

याद आती है हवा की ठण्डक

सब्ज़रंगी वो रिदा सावन में

 

मुन्तज़िर= इन्तज़ार में

शिगूफ़ा = कली

सब्ज़रंगी = हरे रंग की

रिदा = चादर

 

-(मौलिक, अप्रकाशित)

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 8:08pm

आदरणीय सौरभ सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 8:08pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 8:08pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2014 at 12:52am

खेत तालाब शजर भी सूखे

आसमाँ सूख गया सावन में.. . वाह !

इस ग़ज़ल केलिए ढेर सारी दाद, शिज्जू भाईजी.. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2014 at 7:30am

आदरणीय शिज्जु भाई , उचित समय मे आपकी उचित श्रावणी गज़ल बहुत सार्थक और सुन्दर लगी , आपको दिली बधाइयाँ ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 4, 2014 at 5:11pm

आदरणीय शिज्जू जी ..क्या जबर्दस्त ग़ज़ल ..मौसम के आज कल के हाल का बखूबी चित्रन किया है आपने ..तमाम उर्दू के शब्द सीखने को मिलते हैं ..आपकी इस शानदार रचना पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 4, 2014 at 2:01pm

आदरणीया मंजरी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 8:46pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी सावन में कई रंग जीवन के दिख गए। ग़ज़ल अच्छी लगी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 2, 2014 at 3:42pm

आदरणीय गोपाल नारायण सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने रचना को समय दिया एवं सराहा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 2, 2014 at 3:42pm

आदरणीय सुशील सरना सर रचना की सराहना के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service