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कालेधन के चक्कर में बुरे फंसे योगगुरू

विदेशों में जमा काला धन को वापस लाने के लिए देश भर में शंखनाद कर भारत स्वाभिमान यात्रा निकालने वाले योग गुरू अर्थात् बाबा रामदेव स्वयं ही अब इस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। अपने बड़बोलेपन के कारण भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर यूपीए सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले बाबा रामदेव पर अब कांग्रेस ने हल्लाबोल दिया है। कांग्रेस पार्टी ने बाबा पर हमला बोलते हुए उन्हें अपनी संपत्ति और दान का हिसाब देने के लिए कहा है। साथ ही यह भी आशंका व्यक्त की है कि कहीं उनकी सम्पत्ति काला धन तो नहीं? बाबा रामदेव की असीमित संपत्ति को लेकर देश के कई साधु-महात्माओं ने भी टीका-टिप्पणी की है। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी के अलावा अब बाबा की बिरादरी के लोग ही उनके विरोध में खड़े हो गए हैं।
कुछ अर्सा पहले एक छोटे से मंच के उपर बैठकर चंद लोगों को योग तथा धर्म-कर्म की शिक्षा का पाठ पढ़ाने वाले बाबा अब लाखों नहीं करोड़ों की बात करते हैं। उनके रहन-सहन में इतना बदलाव आया है कि वे दूसरों को भले ही स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की दलील देते है, मगर खुद लक्जरी वाहनों में चढ़ते हैं तथा मिनरल वाटर का उपयोग करते हैं, आखिर यह भी तो एक सवाल है। एक तरह से कहा जाए तो विश्व में भारतीय योग को नए सिरे से प्रतिष्ठित करने व ख्याति दिलाने वाले बाबा रामदेव अब अपनी ख्याति को पूरी तरह भुनाने में लगे हैं, ऐसा नजर आ रहा है। इसकी वजह यह है कि उनकी जहां भी योग शिविर लगती है, वहां वे मीडिया से बड़ी बेबाकी से कहते है, कि उनके पास कालाधन नहीं है। वे नगद नहीं बल्कि, चेक के माध्यम से दान लेते हैं। मौजूदा हालत ऐसे हैं कि काले धन के मसले से शुरु हुआ विवाद नेहरू-गांधी परिवार और निजी आरोप-प्रत्यारोप तक पहुंच गया है। ऐसे में घटनात्मक तथा अन्य खबरें देखकर पूरी तरह उब चुके दर्शक व मीडिया के लिए इन दिनों बाबा रामदेव चटपटी खबर बने हुए हैं। योगगुरू के अतीत पर झांककर देखे तो उन्हें टीवी चैनल व प्रिंट मीडिया ने ही फर्स से अर्स तक पहुंचा। कई चैनलों में रोज सुबह बाबा रामदेव योग करते लोगों को दिखने लगे, इसके बाद तो जैसे आस्था चैनल बाबा का ही हो गया। बाबा के स्वाभिमान भरे उपदेशों को सुनकर करोड़ों लोग अपने भारतीय होने पर गर्व करते हुए उनके मुरीद बन गए हैं। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि बाबा रामदेव ने योग को देश-विदेश तक पहुंचाया है।  योगगुरू के शिविर जिन शहरों में लगते हैं, वहां पंजीयन कराने वालों की लंबी कतार लग जाती है और सब योगगुरू के साथ-साथ कपालभाति व अनुलोम-विलोम करते दिखते है। विदेशों में भी बाबा रामदेव को पूजने वालों की कमी नहीं है। इंग्लैंड व अमेरिका जैसे देश में उनके लाखों चाहने वाले हैं। बताया जाता है कि अमेरिका के ह्यूस्टन में तीन सौ एकड़ से ज्यादा जमीन उन्होंने खरीदी रखी है। बाबा खुद तो भारत स्वाभिमान यात्रा निकालकर विदेशों में जमा करोड़ों रूपए को भारत वापस लाने की बात कहते है, मगर पूंजीपतियों से अनाप-शनाप दान लेकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। क्योंकि लाखों व करोड़ों रूपए दान करने वाले वही लोग होते है, जिन्होंने काली कमाई की हो। कालेधन को लेकर इन दिनों कांग्रेस व बाबा रामदेव के बीच काफी घात-प्रतिघात का दौर चल रहा है। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक सभा के दौरान बाबा रामदेव पर निशाना साधते हुए कहा कि “क्या बाबा रामदेव इस बात की तस्दीक करते हैं कि उन्हें दान  में मिलने वाली दौलत काला धन तो नहीं। पिछले 12 साल में बाबा ने जो धन इकठ्ठा किया है, उसका उन्हें हिसाब देना चाहिए। साथ ही दिग्विजय ने ये भी कहा कि बाबा कुछ सालों में कहां से कहां पहुंच गए, उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई इसका भी हिसाब होना चाहिए। बाबा रामदेव पिछले कुछ दिनों से लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं उन्हें दूसरी पार्टियों में भ्रष्टाचार नहीं दिखाई दे रहा है? अगर बाबा राजनीति में उतरना चाहते हैं कि सीधे मैदान में आएं। यही नहीं दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा है कि अगर बाबा रामदेव की संपत्ति पर नजर डालें तो, पतंजलि योगपीठ की कीमत 1000 करोड़ रुपए है। वहीं स्कॉटलैंड में रिट्रीट लैंड करीब 15 करोड़ रुपए और एक धार्मिक टीवी चैनल में बाबा के ट्रस्ट की हिस्सेदारी है। इसके अलावा दिव्य योग मंदिर, दिव्य योग आश्रम, कृपालु बाग, दिव्य फॉर्मेसी, पतंजलि हर्बल, पतंजलि योग विश्वविद्यालय, हर्बल वाटिका व आयुर्वेदिक चिकित्सा और अनुसंधान संस्थान पर बाबा का अधिकार है। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ने वाले योगगुरु बाबा रामदेव और कांग्रेस के बीच महाभारत शुरू हो गई है। कालेधन के मसले पर योगगुरू बड़ी बेबाकी से खुद को पाक साफ बताते हुए कह रहे हैं कि उनके ट्रस्ट को दान में कोई काला धन नहीं मिलता है और दान में कोई काला धन नहीं लिया जाता है। दिग्विजय सिंह से पहले बाबा के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से कथित तौर पर नाराज एक कांग्रेसी सांसद ने उनके साथ बदतमीजी करते हुए उन्हें गालियां तक दे डाली थीं। खैर कांग्रेस के पदाधिकारी व योगगुरू के बीच जो कुछ भी चल रहा है, अर्थात् दोनों पक्ष एक दूसरे को नीचा दिखाने अमादा हो गए है। इससे कोई सार्थक हल निकलने वाला नहीं है। यदि बाबा के इरादे नेक है और उन्होंने दान में काला धन नहीं लिया है, तो उन्हें भी अपने या ट्रस्ट की संपत्ति का ब्यौरा देने में परहेज नहीं करना चाहिए।

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 26, 2011 at 10:21am
भाई राजिंदर जी , धन जिसका हिसाब हो वो सफ़ेद और यदि बेहिसाब हो तो काला , रही बात की बाबा ने काला धन  लिया है की नहीं , यह कहना मुश्किल है , चंदा कौन दे रहा है यह तो कोई नहीं देखता और यह संभव भी नहीं है , मैंने एक वक्तव्य बाबा का पढ़ा था कि मेरे पास सारे संपत्ति का हिसाब है, वित्त मंत्रालय के अधीन ऐसे विभाग होते है जो इस तरह कि जांच संपादित करते है तो  जुबानी जंग क्यू ? जांच करा लो भाई , सब कुछ  साफ़ हो जाएगा , यह राजनीति क्यू ?

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