मिलन
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क्या मिलन परिणाम यही है ?
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संध्या मिलन के हित वासर
निज अस्तित्व को खो देता
नद नदी में ,नदी उदधि में
मिल खोते स्वनाम सभी हैं |
क्या मिलन परिणाम यही है ?
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जब जब मिले धनुष से तीर
पलटे वो खाकर दुत्कार
लक्ष्य से मिल जाये यदि तो
करता घायल प्राण यही है |
क्या मिलन परिणाम यही है ?
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क्षिति मिलन के हित से अम्बर
झुकने पर बाध्य नित्य हुआ
दिशा मिलन की असीम दौड़
कि दौड़ा पवमान नहीं है ||
क्या मिलन परिणाम यही है ?
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उर की कसक मिलन-पूर्व
मिलन संग सिमट जाती है
मिलन क्षणों की विरह-शंका
पा सकी न निदान कहीं हैं ||
क्या मिलन परिणाम यही है?
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
अजमेर.
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. गंगा धर भाई , बहुत सुन्दर गीत रचना की है , दिली बधाई |
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