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मिलन

.
क्या मिलन परिणाम यही है ?
.
संध्या मिलन के हित वासर 
निज अस्तित्व को खो देता 
नद नदी में ,नदी उदधि में 
मिल खोते स्वनाम सभी हैं |
क्या मिलन परिणाम यही है ?
.
जब जब मिले धनुष से तीर 
पलटे वो खाकर दुत्कार 
लक्ष्य से मिल जाये यदि तो 
करता घायल प्राण यही है |
क्या मिलन परिणाम यही है ?
.
क्षिति मिलन के हित से अम्बर 
झुकने पर बाध्य नित्य हुआ 
दिशा मिलन की असीम दौड़ 
कि दौड़ा पवमान नहीं है ||
क्या मिलन परिणाम यही है ?
.
उर की कसक मिलन-पूर्व 
मिलन संग सिमट जाती है 
मिलन क्षणों की विरह-शंका 
पा सकी न निदान कहीं हैं || 
क्या मिलन परिणाम यही है?
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'
अजमेर.

मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2014 at 10:52am

आ. गंगा धर भाई , बहुत सुन्दर गीत रचना की है , दिली बधाई |

कृपया ध्यान दे...

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