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बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है | 
तुमको सब कुछ सौंप दिया , जो मेरा है सो तेरा है ||

मुक्त हुआ , कुछ फिक्र नहीं | 
तू सच है, केवल जिक्र नहीं | 
मैं चाहे जहाँ रहूँ लेकिन, तेरे नयन ह्रदय का डेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

मैं सोता, तू जगती है | 
धीरज रोज , परखती है | 
है बन्द आँख में ख्वाब तेरा, भले नींद ने घेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

तू सोचे , फिर एक बहाना | 
मैं कहता, दिल का अफसाना | 
होंठ मौन हैं, रहे भले ही, तुम्हें रोम-रोम ने टेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

जो चाहा, अक्सर नहीं मिला | 
सच्चा है, ये सच्चा है गिला | 
हर चीज वक़्त के बाद मिले, कुछ किस्मत ही का फेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

उत्सव दिन, उत्साह विहीन | 
उपालंभ, नित्य नवीन | 
कैसे हर दिन सेलिब्रेट करूँ, मुझे उत्सव दर्शन तेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिय मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

.
गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान'

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 1, 2015 at 8:26pm

आ० गंगाधर शर्मा जी 

नेह सिक्त हृदय के उद्गारों को बहुत संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है 

फिर भी प्रस्तुति अभी शिल्प पर और वक़्त की मांग करती है 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 


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Comment by गिरिराज भंडारी on March 1, 2015 at 8:20pm

आदरणीय गंगा धर भाई , सुन्दर भाव पूर्ण गीत रचना के लिये बधाई आपको ॥

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2015 at 8:00pm

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है | 
तुमको सब कुछ सौंप दिया , जो मेरा है सो तेरा है ||-----आपकी मै यह पहली रचना पढ़  रहा हूँ | स्वागत है आपका | ह्रदय में विश्वास लिए है आश्वस्त करती सुंदर रचना के लिए बधाई श्री गंगा धर शर्मा "हिन्दुस्तान" जी 

Comment by somesh kumar on March 1, 2015 at 11:33am

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है|

सुंदर ,भाव से परिपूर्ण रचना |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 1, 2015 at 8:51am

आदरणीय गंगा धर शर्मा जी बहुत ही सुन्दर ....... है बन्द आँख में ख्वाब तेरा, भले नींद ने घेरा है |

बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है ...... बधाई आपको .! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2015 at 7:34am
आदरणीय सुन्दर रचना। प्रस्तुति पर बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 28, 2015 at 9:16pm

आ० गंगा धर शर्मा 'हिन्दुस्तान' जी

आपका विश्वास सदैवा आपकी  रचना पर कायम रहे i आपको बधाई i सादर i

Comment by maharshi tripathi on February 28, 2015 at 5:51pm

जो चाहा, अक्सर नहीं मिला | 
सच्चा है, ये सच्चा है गिला | 
हर चीज वक़्त के बाद मिले, कुछ किस्मत ही का फेरा है | 
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी ! विश्वास ह्रदय का मेरा है ||

मन को छूती पंक्तियाँ ,,,इस खूबसूरत गीत पर आपको हार्दिक बधाई आ.गंगाधर शर्मा जी |

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