For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"है मधुर जीवंत बेला "

गीत
___

“है मधुर जीवंत बेला”
_______________

नैन में सपने पले हैं अब नहीँ हूँ मैँ अकेला ।

फिर जहां मुस्कान लाया, है मधुर जीवन्त बेला |

झूठ झंझट जग के सारे , हैं सभी तो ये हमारे ,

दीप आशा के जले हैं नेह से सारे सजाये

सत्य का निर्माण होगा, फिर सजेगा एक मेला ||

फिर जहाँ मुस्कान लाया, है मधुर जीवंत बेला..............

स्वप्न भी पूरे करूँ मैं, इस जगत को घर बना के,

और खुशियों से सजा दूँ, सत्य की बगिया सजा के

दूर तक मुस्कान होगी, रम्य इक जीवन का खेला |

फिर जहाँ मुस्कान लाया, है मधुर जीवंत बेला..............

कर्म सारे हों दिलों से, रंग तब निखरे जहां के,

पुष्प महकाएं जगत को, एक सुन्दर घर बना के,

दर्द-दुख भी तो सभी ने, साथ रहकर संग झेला |

फिर जहाँ मुस्कान लाया, है मधुर जीवंत बेला..............

( मौलिक अप्रकाशित )

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chhaya Shukla on December 23, 2014 at 8:30pm

मदन मोहन सक्सेना जी हार्दिक धन्यवाद सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सादर !

Comment by Madan Mohan saxena on December 3, 2014 at 3:13pm

बहुत सुंदर बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

Comment by Chhaya Shukla on September 26, 2014 at 1:44pm

आ. जीतेन्द्र गीत जी !
रचना की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद 
सादर नमन ! 

Comment by Chhaya Shukla on September 26, 2014 at 1:42pm

आ. गिरिराज भंडारी जी ! 
रचना की सराहना के लिए दिल से धन्यवाद आपको 
सादर नमन ! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 2:12pm

बहुत ही सुंदर गीत. बधाई आदरणीया छाया जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2014 at 7:29am

आदरणीया छाया जी ,  मन में आशा जगाती आपकी सि गीत रचना के लिए बधाई |

Comment by Chhaya Shukla on September 23, 2014 at 9:56am

आ. नरेन्द्र सिंह चौहान जी हार्दिक धन्यवाद !
सादर नमन !

Comment by Chhaya Shukla on September 21, 2014 at 8:20pm

आदरनीय संतलाल करुन जी आपकी प्रतिक्रिया मनोबल बढ़ा गई बहुत - बहुत शुक्रिया सादर नमन 

Comment by Santlal Karun on September 21, 2014 at 7:33pm

आदरणीया छाया शुक्ला जी,

झूठी झंझटों को सच के सहारे दरकिनार करते हुए स्वप्नों को साकार करने की जीवन-यात्रा का यह सुमधुर गीत अत्यंत सुन्दर बन पड़ा है --

"झूठ झंझट जग के सारे , हैं सभी तो ये हमारे ,

दीप आशा के जले हैं नेह से सारे सजाये

सत्य का निर्माण होगा, फिर सजेगा एक मेला ||"

... हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service