For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : आस्तीन

"अरे, बड़ा अजीब सा नाम लगा इस बंगले का, आस्तीन भी कोई नाम है !" शहर में नए आये व्यक्ति ने दोस्त से पूछा !

"जी, ये बंगला जिन्होंने बनवाया वो अब वृद्धाश्रम में रहते हैं !"

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 965

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:47pm

बहुत बड़ी बात कह दी आपने बहुत ही कम शब्दों में ...बधाई 

Comment by Vindu Babu on November 1, 2014 at 9:14pm

समसामयिक परिदृश्य पर गहरा कटाक्ष।

आदरणीय नोलेश जी आपने समाज के दुखद पहलू को छुआ है,हार्दिक बधाई आपको। सादर

Comment by Alok Mittal on October 21, 2014 at 10:49am

बेहतरीन निलेश भाई....कम शब्दों में आपने सब लिख दिया है ....बहुत बहुत बधाई

Comment by Dipak Mashal on October 19, 2014 at 1:47pm

बिना कथा वाली व्यंगात्मक टिप्पणियों को लघुकथा के नाम पर बार-बार दी जाने वाली शाबासी का ये चलन ओ बी ओ लघुकथाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है, जानकारों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। ये वार्तालाप लघुकथा का हिस्सा तो हो सकते हैं और कुछेक बार लघुकथा भी लेकिन सिर्फ इस ढाँचे को ही लघुकथा कह देना कम से कम मेरे विचार से ठीक नहीं। क्षमा सहित। 

Comment by Dipak Mashal on October 19, 2014 at 1:35pm

 

'प्रभावित करने वाला व्यंगात्मक वार्तालाप है, इसमें लघुता तो है लेकिन कथा नहीं। थोड़ी कथा भी साथ में डाल सकें तो यह उत्कृष्ट लघुकथा होगी।  शुभकामनाएं '
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 18, 2014 at 9:16am

आपकी यह लघुकथा बहुत ही प्रशंशनीय है. नमन आपकी लेखनी को. बधाई स्वीकारें आदरणीय नीलेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 18, 2014 at 1:21am
वाह...वाह आदरणीय नीलेश जी...मज़ा आ गया. इतने सभ्य ढंग से किसी को तमांचा मारने के साथ ही समाज को आईना दिखाने की इस मोहक कला ने दिल खुश कर दिया. मैं प्रतिक्रियाएँ बहुत कम देता हूँ, लघु कथा में तो शायद ही कभी कोई टिप्पणी की हो. परंतु आज इस समय जब आधी दुनिया गहरी नींद में है, आपकी इन चंद पंक्तियों ने मुझे जगा रखा है. हृदय से साधुवाद. सादर.
Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:50pm

राजेश कुमारी मैम , हार्दिक आभार !
मुझे आपके वचनो से और प्रेरणा मिलेगी !

Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:48pm

गोपाल नारायण सर , आपके दिए गए प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा !

Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:48pm

योगराज सर,
आपका आशीर्वाद है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service