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लघुकथा : आस्तीन

"अरे, बड़ा अजीब सा नाम लगा इस बंगले का, आस्तीन भी कोई नाम है !" शहर में नए आये व्यक्ति ने दोस्त से पूछा !

"जी, ये बंगला जिन्होंने बनवाया वो अब वृद्धाश्रम में रहते हैं !"

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:47pm

बहुत बड़ी बात कह दी आपने बहुत ही कम शब्दों में ...बधाई 

Comment by Vindu Babu on November 1, 2014 at 9:14pm

समसामयिक परिदृश्य पर गहरा कटाक्ष।

आदरणीय नोलेश जी आपने समाज के दुखद पहलू को छुआ है,हार्दिक बधाई आपको। सादर

Comment by Alok Mittal on October 21, 2014 at 10:49am

बेहतरीन निलेश भाई....कम शब्दों में आपने सब लिख दिया है ....बहुत बहुत बधाई

Comment by Dipak Mashal on October 19, 2014 at 1:47pm

बिना कथा वाली व्यंगात्मक टिप्पणियों को लघुकथा के नाम पर बार-बार दी जाने वाली शाबासी का ये चलन ओ बी ओ लघुकथाओं को गलत दिशा में ले जा रहा है, जानकारों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। ये वार्तालाप लघुकथा का हिस्सा तो हो सकते हैं और कुछेक बार लघुकथा भी लेकिन सिर्फ इस ढाँचे को ही लघुकथा कह देना कम से कम मेरे विचार से ठीक नहीं। क्षमा सहित। 

Comment by Dipak Mashal on October 19, 2014 at 1:35pm

 

'प्रभावित करने वाला व्यंगात्मक वार्तालाप है, इसमें लघुता तो है लेकिन कथा नहीं। थोड़ी कथा भी साथ में डाल सकें तो यह उत्कृष्ट लघुकथा होगी।  शुभकामनाएं '
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 18, 2014 at 9:16am

आपकी यह लघुकथा बहुत ही प्रशंशनीय है. नमन आपकी लेखनी को. बधाई स्वीकारें आदरणीय नीलेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 18, 2014 at 1:21am
वाह...वाह आदरणीय नीलेश जी...मज़ा आ गया. इतने सभ्य ढंग से किसी को तमांचा मारने के साथ ही समाज को आईना दिखाने की इस मोहक कला ने दिल खुश कर दिया. मैं प्रतिक्रियाएँ बहुत कम देता हूँ, लघु कथा में तो शायद ही कभी कोई टिप्पणी की हो. परंतु आज इस समय जब आधी दुनिया गहरी नींद में है, आपकी इन चंद पंक्तियों ने मुझे जगा रखा है. हृदय से साधुवाद. सादर.
Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:50pm

राजेश कुमारी मैम , हार्दिक आभार !
मुझे आपके वचनो से और प्रेरणा मिलेगी !

Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:48pm

गोपाल नारायण सर , आपके दिए गए प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा !

Comment by Neeles Sharma on October 17, 2014 at 11:48pm

योगराज सर,
आपका आशीर्वाद है !

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