देश के प्रतिष्ठित सरकारी हस्पतालों में से एक में गर्मियों की दोपहर को डॉक्टरों के विश्राम कक्ष में बैठकर लस्सी पीते हुए, वे चारों डॉक्टर आपस में देश-दुनिया की 'गंभीर' चर्चा में लगे हुए थे। अचानक उनमे से एक की नज़र अपनी कलाई घड़ी पर घूम गई, जिसकी सुइयां उनके लिए निर्धारित विश्राम के समय से कुछ ज्यादा ही आगे घूम गईं थीं। उसने हड़बड़ाते हुए अपनी कुर्सी छोड़ी और बाकी के साथियों को घड़ी की तरफ इशारा करते हुए बोला-
- जरा टाइम देखो डियर, तुम लोगों का भी राउंड का वक़्त हो गया है।
- अबे बैठ…
Posted on December 26, 2012 at 6:37am — 11 Comments
एक तो उसके पिता जी के वकालत के दिनों में ही घर की माली हालत ठीक नहीं थी, तिस पर अचानक हुई उस दुर्घटना ने गरीबी में आटा गीला करने का काम किया। घर-गहने बिका देने वाले इलाज़ ने किसी तरह पिता जी की जान तो बचा ली गई लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी टूटने ने ना सिर्फ उन्हें बल्कि घर की अर्थव्यवस्था को ही अपाहिज बना दिया। खेलने-खाने के दिनों में जब उसने सिर पर घर के छः सदस्यों की जिम्मेवारी को मह्सूस किया तो गेंद-बल्ला सब भूल गया। पढ़ाई के साथ-साथ ही कुछ काम करने के बारे में सोचा। वामन पुत्र था और…
ContinuePosted on December 17, 2012 at 7:47pm — 6 Comments
ज्यादा क्या कोई फर्क नहीं मिलता
हुक्के की गुड़गुड़ाहटों की आवाज़ में
चाहे वो आ रही हों फटी एड़ियों वाले ऊंची धोती पहने मतदाता के आँगन से
या कि लाल-नीली बत्तियों के भीतर के कोट-सूट से...
नहीं समझ आता ये कोरस है या एकल गान
जब अलापते हैं एक ही आवाज़ पाषाण युग के कायदे क़ानून की पगड़ियां या टाई बांधे
हाथ में डिग्री पकड़े और लाठी वाले भी
किसी बरगद या पीपल के गोल चबूतरे पर विराजकर
तो कोई आवाजरोधी शीशों वाले ए सी केबिन में..
गरियाना तालिबान को,…
ContinuePosted on December 15, 2012 at 11:30pm — 7 Comments
तुम्हें चुप रहना है
सीं के रखने हैं होंठ अपने
तालू से चिपकाए रखना है जीभ
लहराना नहीं है उसे
और तलवे बनाए रखना है मखमल के
इन तलवों के नीचे नहीं पहननी कोई पनहियाँ
और न चप्पल
ना ही जीभ के सिरे तक पहुँचने देनी है सूरज की रौशनी
सुन लो ओ हरिया! ओ होरी! ओ हल्कू!
या कलुआ, मुलुआ, लल्लू जो भी हो!
चुप रहना है तुम्हें
जब तक नहीं जान जाते तुम
कि इस गोल दुनिया के कई दूसरे कोनों में
नहीं है ज्यादा फर्क कलम-मगज़ और तन घिसने वालों को…
Posted on December 14, 2012 at 3:03pm — 13 Comments
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Comment Wall (7 comments)
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जी, दीपक जी..मित्रता में कोई औपचारिकता नही होनी चाहिए..
सादर!
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
" जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाये " आदरणीय दीपक जी
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…