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वो लगातार स्टैंड पे टंगी बोतल से गिरती दवा की एक एक बूँद को गौर से देख रहा था ! नर्स ने काफी देर उसे ऐसा करते देखा तो उसके पास आकर पूछ बैठी !


"इन बूंदों को गिन रहे हैं क्या आप ? लगता है पर बूँद प्राइस निकालेंगे !"

"नहीं ,माँ के शरीर में जा रही है इसलिये दुआ मिला रहा हूँ !"

( मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 9:10pm

बहुत सुन्दर हृदय स्पर्शी लघु कथा |हार्दिक बधाई आपको निलेश जी 

Comment by Alok Mittal on October 21, 2014 at 4:33pm

बहुत सुंदर निलेश भाई ....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 20, 2014 at 10:21pm

बहुत ही सुंदर लघुकथा, आदरणीय नीलेश जी. हार्दिक बधाई आपको

Comment by किशन कुमार "आजाद" on October 20, 2014 at 10:09pm
बहुत सुन्दर रचना

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