For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी!

8 मार्च -अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष


जंग ए आजादी के दौर में राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने आंख के आंसूओं में अपनी कलम डूबाकर इन पंक्तियों की रचना की थी

अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी !

आंचल में है दूध और आंखों में पानी

आज़ादी के दौर में यह कहानी बहुत कुछ बदल चुकी है। देश की महिलाएं  सातवें आसमान में देश का झंडा गाड़कर कल्पना चावला बन रही हैं। किरन बेदी बनकर अपराधियों से लोहा ले रही हैं। अरुणा राय और मेधा पाटेकर बनकर सामाजिक अन्याय से जूझ रही हैं। प्रतिभा पाटिल जैसी राजनेता बनकर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन है। मीरा कुमार जैसी विदुषी बनकर लोकसभा की सदारत की रही हैं। अरुणा आसफअली, मदर टेरेसा इंदिरा गांधी सुब्बालक्ष्मी, लता मंगेश्कर जैसी होकर भारत रत्न बन चुकी है। किंतु ऐसी भी अभी तक लाखों हैं,जो गर्भ में ही कत्ल कर दी जाती हैं। दहेज की बलिवेदी पर जिंदा जला दी जाती है। जिन पर नृशंस ढंग से तेजाब फेंक दिया जाता हैं। जिनको जबरन अपहरण करके वेश्यालयों में गर्क कर दिया जाता है। करोडों ऐसी है जो स्कूल तक नहीं जा पाती है। बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। साहिर ने बड़ी मार्मिक पंक्तियां लिखी थी जो आज भी प्रासंगिक हैं।

 

औरत संसार की किस्मत है फिर भी तक़दीर ही हेठी है

अवतार पैगंबर जनती है फिर भी शैतान की बेटी है

 

8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर केंद्रीय सरकार ने संसद के पटल पर महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने का संकल्प दिखाया है। इस विधेयक के तहत संसद और राज्य की विधयिकाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। राज्य सभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया है, किंतु लोकसभा के पटल पर अभी तक इसे पेश नहीं किया गया है। लोकसभा में यह विधयेक पारित हो जाएगा, अभी इसमें संशय बरक़रार है। इस विधेयक पर सब राजनीतिक दलों की सहमति अभी तक बन नहीं पाई है। लालू यादव और मुलायम सिंह की पार्टियां इस प्रस्तावित विधेयक की सदैव ही मुखर विरोधी रही हैं, क्योंकि समाजवादी पार्टी और राजद महिला आरक्षण विधेयक के तहत पिछड़ी महिलाओं को आरक्षण देने की हिमायती रही है। अर्थात आरक्षण के अंदर ही एक और आरक्षण प्रदान कर दिया जाए। भारत की पंचायतों में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण प्राप्त हो ही चुका है।

 

जंगे आजादी के इतिहास में राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी दयानंद और विवेकानंद ने अत्यंत मुखर तौर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के पक्ष में अपना स्वर बुलंद किया था। स्वामी दयानंद ने प्रखर स्वर में उद्घोष किया था कि केवल मां ही बच्चे का प्रथम गुरुकुल होती है। यदि वह ही शिक्षित है तो समस्त परिवार शिक्षित हो जाता हैं। ब्रम्हसमाज और आर्यसमाज ने स्त्री शिक्षा के लिए अप्रतिम कार्य किया। सर्वविदित है कि सामंती काल में महिलाओं की सामाजिक दशा निरंतर ही खराब होती चली गई थी। पुर्नजागरण काल में जिसे आमतौर पर रैनेसां के नाम से जाना जाता रहा है महिलाओं के विषय में भारतीय समाज का नज़रिया बहुत सारे सामाजिक सुधारकों की बहुत जद्दोजहद के पश्चात ही कुछ परिवर्तित हुआ । इस काल में सामाजिक रुप से यह समझा सोचा जाता रहा कि महिलाओं को का स्थान केवल घरबार तक ही सीमित रहे। बस यही बहुत है कुछ है उनके लिए। यहां तक कि सती प्रथा जैसी नंशृस सामाजिक कुप्रथा को धर्मिक तौर पर बाकायदा महिमामंडित किया गया। एक दौर विशेष के भारतीय समाज में महिलाएं और दलित दोनो ही दोयम दर्जे के नागरिक बन गए थे। हांलाकि इस काल में भी रजिया सुल्ताना, चांद बीबी, नूरजहां, अहिल्याबाई होल्कर जैसी महिलाएं इतिहास के पटल पर उभरी, किंतु आमतौर पर ये सभी उच्च सामंती परिवारों से संबंधित रही थी। अंगे्रजी काल पर नज़र डाले तो महारानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरतमहल, उदा देवी, अवंतीबाई जैसी कितनी ही वीरांगनाएं सन् 1857 के प्रथम स्वातंत्रय संग्राम की कयादत करती रही। इसके बाद जंग ए आज़ादी के दौर में मैडम भीकाईजी कामा, ऐनी बेसेंट, सरोजनी नायडू, कस्तूरबा गांधी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, बानो जहांगीर कोयाजी, लक्ष्मी सहगल, उषा मेहता और अरुणा आसफअली जैसी मध्यवर्गीय महिलाओं ने सार्वजनिक राजनीतिक संघर्ष में बहुत बुलंदी हासिल की।

 

विगत 63 सालों के आजादी के दौर में देखे तो महिलाओं के मध्य शिक्षा दीक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन आया है। सामाजिक बेड़ियां निरंतर टूट रही हैं। देश आज भी एक बहुत बहादुर प्रधानमंत्री के तौर पर इंदिरा गांधी को स्मरण करता है। भारत रत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान सन् 1942 की अजेय योद्वा अरुणा आसपफअली, गरीबों की मसीहा मदर टेरेसा, राजनेता इंदिरा गांधी, विरल गायिका एम एस सुब्बालक्ष्मी और लता मंगेशकर को प्रदान किया गया।

 

महादेवी वर्मा जैसी विलक्षण कवियत्री देश में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत जैसा ही सम्मान पाती है और लाखों भारतवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाती है। महाश्वेतादेवी, अमृता प्रीतम, अरुंधती रॉय और अनिता देसाई जैसी लेखिकाएं उभरती हैं और भारतीय साहित्य को बेहद समृद्व कर जाती हैं। अमृता शेरगिल अंजली इला मेनन जैसी पेंटर कलाकारों का सारी दुनिया लोहा मानती है। लता मंगेशकर साथ ही साथ एम.एस.सुब्बालक्ष्मी, बेगम अख्तर, गंगूबाई हंगल, गिरजा देवी, किशोरी अमोनकर, प्रभा आत्रो जैसी गायिकाएं आजादी के दौर की अमिट स्वरलहरियां बन जाती हैं। सामाजिक संघर्ष के मैदान में आईएएस का परित्याग कर अरुणा रॉय अपना इक़बाल बुलंद करती है। मेधा पाटेकर यहां वहां अपना परचम लहराती है। सिनेमा के क्षेत्र में भी मीरा नायर, शबाना आजमी, अपर्णा सेन की योग्यता को समूची दुनिया ने स्वीकारा है।

 

वायुसेना के लड़ाकू विमानों को उड़ाती हुई महिलाओं को देखकर प्रतीत होता है कि अब आसमान को छू ही लेगीं भारत की महिलाएं! हर क्षेत्र में महिलाएं बहुत कुछ हासिल कर चुकी हैं, किंतु मंजिल अभी भी बहुत दूर है। देश की आधी अनपढ आबादी में अस्सी फीसदी संख्या महिलाओं की है। गांव देहातों में बदलाव की गति अत्यंत धीमी रही है। कथित तौर पर विकसित पंजाब और हरियाणा में स्त्री-पुरुष आबादी के अनुपात आ चुका गंभीर असंतुलन दर्शाता है कि गर्भ में कत्ल कर दी जरने वाली कन्याओं की तादाद निरंतर बढ रही है। लड़कियों के विषय में सामंती सोच अभी तक कितनी ताकतवर बनी हुई। इस सोच को बदलना होगा और कन्या भू्रण हत्या कानून का अत्यंत कड़ाई से पालन करना ही होगा। अन्यथा इस भयावह प्राकृतिक असंतुलन पर काबू पाना मुश्किल हो जाएगा। इस बारे में आर्य समाज एवं अन्य धर्मिक संगठन प्रगतिशील भूमिका निर्वाह कर सकते हैं, जिनका जनमानस पर अच्छा खासा प्रभाव है। संसद द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिए जाने के पश्चात इस बात ही आशा जग चुकी है कि अब देश में कोई बच्चा अनपढ़ नहीं रह पाएगा। देर से ही सही एक शानदार शुरुआत हुई है, बशर्ते इस पर सख़्ती अमल किया जाए और सर्वशिक्षा अभियान कहीं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए, जब देश की सब महिलाएं शिक्षित हो जाएगीं तब हम कह सकेगें कि अब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का हमारे लिए काई मतलब है।

 

 

प्रभात कुमार रॉय

Views: 14010

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
1 hour ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
दिनेश कुमार posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service