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खेत खाय गधा, मार खाय जुलहा

ब्लॉग के शीर्षक से आपको लगता होगा कि यह कहानी कोई खाने - खिलाने से सम्बंधित है ..मगर नहीं ..यह कहानी ..न्याय से सम्बंधित है ..यह कहानी मुझे पटना विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने सुनाया था ..
प्रोफ़ेसर साहब एक बार भ्रमण के लिए रूस गए थे ... वहां उन्होंने नयायालय में हो रहे प्रकिरिया को देखना चाहा... वे एक न्यायलय में गए . एक नौकर ने अपने मालिक के घर से ४०० रुब्बल कि चोरी कर ली .थी . मालिक ने उस पर केश दर्ज करबा दिया था ..
जज ने नौकर से पूछा.." तुमने चोरी क्यों की"
नौकर ने कहा " मैंने धुर्म्पान ( SMOKING) करने के लिए चोरी की
जज ने कहा " स्मोकिंग की आदत कैसे लगी "
नौकर ने कहा " मेरे मालिक की पडोसी के नौकर ने मुझे स्मोकिंग करना सिखाया ..अब मैं स्मोकिंग का अभ्यस्त हो गया हु ...अतः स्मोकिंग की लत को पूरा करने के लिए चोरी की ...
और जानते है ...सजा किसे हुई
जज ने पडोसी के नौकर को सजा दी ....
क्या आप इस न्याय व्यवस्था से सहमत है ...अपने विचार अवश्य लिखे

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Comment by Admin on June 7, 2010 at 2:41pm
बिकुल सही है, यदि पर्दे के पीछे छुपे अपराधियों को सजा मिलती रहे तो अपराध करने मे अपराधी १००० बार सोचेंगे, बहुत सही चर्चा हुई है,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2010 at 3:01pm
Agar isi tarah hi har samasya ki jadh tak pahuncha jaa sakey to shayad Naxlism aur terrorism ko bhi khatam kiya ja sakta hai. Very inspiring story indeed Baban Bhai
Comment by baban pandey on June 6, 2010 at 1:43pm
baagi jee...saja to kanoon me varnit प्रब्धानो के तहत ही जज ने दिया होगा ...फिर मैं समझता हु ...परदे के पीछे के अपराधी को भी सजा मिलनी चाहिए .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2010 at 1:16pm
बबन भाई सबसे पहले तो मैं शीर्षक पर आता हू क़ि खेत जब गदहा ख़ाता है तो जुलाहा क्यो पीटा जाता है, वो इस लिये पीटा जाता है की गदहा जुलाहे के नियंत्रण मे है तो उसका मालिक उसे अनियंत्रित होने दिया, दूसरा कहानी की जहा तक बात है यदि दिल की सुने तो ठीक है उस नौकर को सज़ा मिली, पर यदि न्यायिक ब्यावस्था की बात किया जाय तो सज़ा तो चोरी करने वाले को ही मिलना चाहिये और उस देश के नियमावली मे यदि धूम्रपान सिखाने के लिये कोई सज़ा का प्रावधान हो तो उस नौकर को धूम्रपान सिखाने के लिये सज़ा मिलनी चाहिये न क़ि चोरी के लिये,
Comment by baban pandey on June 6, 2010 at 1:05pm
सही कहा प्रीतम जी . मैं भी जज के फैसले से पूर्ण सहमत हु .
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on June 6, 2010 at 1:00pm
jahan tak mera manna hai ye faisla bilkul hi sahi hua....kyuki aksar dekha jata hai koi bhi kisi ko nashe ki aadat laga dete hain...pehle to khud nasha karwate hain aur jab acchi tarah se aadat lag jaati hai to uske baad chore dete hain....to aakhir wo aadmi kya karega..agar uske baad apni ability nahi hogi to wo chori hi karega naa ya aur bhi kuch karega apni nashe ki lat ko poora karne ke liye....
isliye saja ko aadat pakdane wale ko hi honi chahiye.....

meri najar me faisla to bilkul sahi hua....

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