"चंद्रा साहब कवि सम्मलेन कैसा रहा ? इस कार्यक्रम का टोटल मैनेजमेंट मेरे द्वारा ही किया गया था."
"गुप्ता जी मैं कोई साहित्यकार तो हूँ नहीं किन्तु खचाखच भरा सभागार, श्रोताओं के कहकहे और तालियों से लगा कि कार्यक्रम सफल रहा. किन्तु मुझे एक बात समझ में नहीं आयी कि वो दो लड़कियां... अरे क्या नाम था ... हां कविता ‘क्रंदन’ और शबनम ‘सिंगल’, इन्हें क्यों मंच पर बैठाया गया था, वो दोनों क्या पढ़ रहीं थीं ... यार मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पड़ा."
"हा हा हा, लेकिन सीटियाँ और तालियाँ तो बजी न ! और दोनों.....माशाअल्लाह.... खुबसूरत भी हैं."
"किन्तु गुप्ता जी, क्या खूबसूरती ही सब कुछ है, भई टैलेंट भी कोई चीज होती है."
"आप नहीं समझेंगे चंद्रा साहब, फेस वैल्यू भी कोई......."
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
वर्तमान की भौतिकता और खोखलेपन पर , आपकी कटाक्ष धार-दार लघुकथा वास्तविकता के दर्शन करा रही है. सच! टेलीविजन के विज्ञापन हो या फ़िल्में. हर जगह यही बतौर सफल मेनेजमेंट काम आ रहा है. और इन सफलताओं के बीच , आज आपकी लघुकथा , साहित्य के क्षेत्र में भी पोल खोल रही है. आपकी लेखनी को नमन,सर.
आदरणीय गणेश बागी जी
साहित्य का क्षेत्र जहाँ प्राथमिक जिम्मेदारी ही सर्व-हितार्थ संस्कार को रोंपने की हो वहाँ उपभोक्तावाद का ऐसा निकृष्ट उपयोग... उफ़
नैतिक अवमूल्यन के एक बहुत ही शोचनीय पहलू को प्रस्तुत किया है आपकी इस लघुकथा ने
मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारिये
सादर
सच की अभिव्यक्ति .फेस वैल्यू ही आजकल सब कुछ होती है .बधाई सटीक व्यंग्यमयी लघु-कथा हेतु आदरणीय बागी जी.
आदरणीय गिरिराज भाई साहब, आपका आशीर्वाद इस लघुकथा की सार्थकता पर मुहर है, बहुत बहुत आभार.
आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, आपकी उपस्थिति से सदैव नव लेखन हेतु सबल मिलता है, बहुत बहुत आभार.
आदरणीय सुशील सरना जी, लघुकथा पर आपकी विस्तृत टिप्पणी उत्साहवर्धक है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय.
आदरणीय बागी जी , आज कल तो माल कैसा भी हो पैकिंग खूबसूरत होना चाहिये , इसी तर्ज पर हर धन्धा होता है , बस वैसे ही फेस भैल्यू की उपयोगिता बढ गई है । एक बढ़िया व्यंग्य लघुलथा के लिये आपको बधाई ।
आदरणीय बागी सर ..आपने इस सुंदर लघु कथा के माध्यम से जिस यथार्थ का चित्रण किया है काबिले तारीफ़ है ..आजकल हर आयोजक जिन नुस्खों का उपयोग कर रहा है उसका जीवन चित्रण किया है आपने ..इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई ..सादर बधाई और प्रणाम के साथ
सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय श्याम नारायन वर्मा जी.
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, कही भी यदि कोई गन्दगी है तो कोई न कोई तो कारक है किन्तु यहाँ नाम क्या लेना. आपको लघुकथा अच्छी लगी और आपसे सराहना मिली इसके लिए बहुत बहुत आभार.
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