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एक एहसास तुझे पाने का..

मुझमें उत्साह जगा देता है...
एक एहसास तुझे खोने का ..
फिर से बेबस मुझे कर देता है ..
क्यों नहीं जीत पाती हूँ इन लहरों से..
जो मुझे साहिल  दिखा के तूफाँ देती है..
हर एक पल जो साथ गुजारा था हमने..
मुझमें खुशबू की तरह बसता है..
वो सभी बातें जो सुनी थी तुझसे ..
कोई संगीत हो यूं लगता है...
आज के सच पे लगे ज्यों वो कल ख़्वाबों सा..
मेरी सुध बुध मेरी धडकनों को हर लेता है..
लाख कह दूं की मेरे हो बस मेरे ही हो तुम..
सच तो फिर सच ही कह देता है..
एक एहसास तुझे खोने का ..
फिर से बेबस मुझे कर देता है...
तेरा एहसास ..

Views: 309

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Comment by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 3:01am
Shukria Vandana ji :)
Comment by Lata R.Ojha on March 13, 2011 at 1:00pm
Dhanyavaad Arun ji :)
Comment by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 12:42pm
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति |बधाई |

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