हर जगह चुनावी माहौल, पार्षद के चुनाव में जाने कहाँ-कहाँ से कुकुरमुत्ते की तरह नई नई पार्टियां दिखाई देने लगी । जिन्होंने कभी घर से बाहर कदम नहीं निकाले वे स्त्रियां भी गले में माला डाले गली गली घूम रही है । जाने कौन कौन से कोटे के तहत चुनाव लड रही है । बात करने गई तो मालूम हुआ बात करने में नेताईन को पसीना भी आता है ।
"जीत जायेंगी तो कैसे संभालेंगी इतनी जिम्मेदारी ।"
पूछने पर हँसते हुए कहती है ,
"अरे, मै कहाँ यह सब तो हमारे "वो" ही संभालेंगे । बस मुझे आप लोग जीतवा देना । "
कान्ता राॅय
(मौलिक और अप्रकाशित)
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आपको इस मंच पर देखकर अपार हर्ष की अनुभूति हुई |आपकी पहली रचना है ,पर एक वास्तविक सत्य है भारतीय राजनीति का ,जहाँ नारी मोहर मात्र हैं ,बधाई इस सद्प्रयास पर
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