For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : हिंसा (गणेश जी बागी)

मारते हो पशु
फैलाते हो हिंसा
'नीच' जाति के हो न
असभ्य कहीं के
कभी नहीं सुधरोगे
इतिहास गवाह है...


मारते तो तुम भी हो
'शिकार' के नाम पर
तुम तो 'नीच' न थे
याद है ?
वो शब्द भेदी बाण
जो असमय वरण किया था
अंधों के पुत्र का,
भागे थे हिरण के पीछे
चर्म चाहिए था न
इतिहास गवाह है...


हिंसक तो तुम दोनों ही हो
एक शौक के लिए
तो दूजा भूख के लिए
हाँ जी हाँ, बिलकुल
इतिहास गवाह है ।

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : सोशल स्टडी

Views: 904

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 10:10pm

प्रिय सोमेश जी, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार, किन्तु इस प्रस्तुति में महाभारत का कोई सन्दर्भ नहीं है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 10:09pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी, आपकी सकरात्मक प्रतिक्रिया इस रचना को प्राप्त हुई लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 10:06pm

इस अतुकांत रचना पर प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय गुमनाम जी और प्रिय महर्षि जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 18, 2015 at 10:04pm

आदरणीय खुर्शीद खैराड़ी जी, उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार स्वीकार करें.

Comment by somesh kumar on February 9, 2015 at 10:58pm

जीवन की आवश्कता से लेकर केवल क्रीडा और मनोरंजन के लिए शिकार और शब्दों से मन का शिकार करने का महाभारत को सन्दर्भ ,सुंदर और गम्भीर रचना आदरणीय |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 8, 2015 at 8:39pm

इस सकरात्मक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुन कुमार निगम जी. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 8, 2015 at 8:37pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब, आपकी प्रतिक्रिया लेखन कर्म को सार्थक कर गयी,  बहुत बहुत आभार.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 8:36pm

आदरणीय बागी सर ..इस चिंतन प्रधान सोचने के लिए बिबश करती शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 8, 2015 at 8:36pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, आपकी टिप्पणी सदैव प्रोत्साहित करती है, इस सराहना युक्त प्रतिक्रिया पर बहुत बहुत आभार.

Comment by maharshi tripathi on February 8, 2015 at 7:56pm

अच्छी रचना पर आपको बधाई आ. बागी जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service