For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवारों में दरारें

दीवारों  में दरारें-1  

दीवारे  और दरारें-1  

“कभी सोचा था कि ऐसे भी दिन आएँगे |हम लोग इनके फंक्शन में शामिल होंगे !”मि.सुरेश ने कोलड्रिंक का सिप लेते हुए पूरे ग्रुप की तरफ प्रश्न उछाला |

“मुझे लग रहा है इस वाटिका की सिचाईं नाले के गंदे पानी से करते हैं |कैसी अज़ीब सी बदबू आ रही है !”नाक पे हाथ रखते हुए राजेश डबराल बोले |

“पैसे आ जाने से संस्कार नहीं बदलते जनाब !इन्हें तो गंदगी में रहने की आदत है|” मि.सुरेश ने जोड़ा |

“सी S S ई |किसी ने सुन लिया तो - - - ?”नरेश पांडेय ने ऊँगली मुँह पर रखने का ईशारा किया |

थोड़ी ही देर बाद –“आशा,बहू तो बहुत सुंदर पाई है|एकदम बड़े लोगों सी |”

 “बेटा क्या कम है !वो सीता तो ये राम|”

“आशा को क्या कम समझ रहे हो ?जब ये जवान थी तो बला की खुबसूरत थी | जिस रोज़ ज्वाइन करने आई हमें तो लगा कोई नई साथिन आ गई |पर बाद में - - - - “ मि.सुरेश ने चेहरे के बदलते भावों से अपने मनोभाव जताए |

“सर,कितना मुशकिल था उस समय- - - - पूरा मेल स्टाफ और एक अकेली औरत -- - -आप तो जानते ही हैं उस समय की दशा को !”उसने प्रश्नसूचक निगाह से मि.सुरेश की ओर देखा |

“वो तो परिवार वालों का साथ था कि - - - - खैर वो सब पुरानी बात है - -- -- मुझे तो लग ही नहीं रहा था कि आप लोग मेरे यहाँ  - - -“उसने हाथ जोड़ते हुए भावुक होकर कहा |

“कैसी बात कर रही है ! हम सब स्कूल में एक परिवार ही तो हैं |एक-दुसरे के सुख-दुःख में भी शामिल ना हों तो इतने लंबे परिचय का क्या अर्थ |” पांडेय जी बोल उठे |

“पैसा तो बहुत खर्च किया लगता है |बहुत कम देखने को मिलती है ऐसी तैयारी |”डबराल बोल उठा

“सब भगवान का दिया है |बाप-बेटे दोनों का प्रोपर्टी का काम अच्छा चल जाता है |”

“सब किस्मत का खेल है |”मि.सुरेन्द्र बोले

“अच्छा ये शगुन पकड़ |”  लिफ़ाफ़ा उसकी तरफ बढ़ाते हुए पांडे बोले

“आप लोग खाना-पीना करके जाना |- - - -मैं जरा दूसरे मेहमानों को देख लूँ |”कहती हुई वो दूसरी तरफ बढ़ गई

उसके जाने के बाद  

“ये लोग तो जाने क्या-क्या खाते हैं ?मैं अपना धर्म नहीं बिगाड़ने वाला |” पांडेय जी ने नाक-भौं सिकोड़ते हुए कहा |

“पांडेय जी,आप तो कलिया-मछली - - - -“डबराल ने धीरे से पूछा

“तो - - - वो तो तुम लोगों के साथ न!क्या तुम आशा की तरह सफ़ाई वाले हो ?”पांडेय ने बिगड़ते हुए कहा |

“अरे बैरे !खाने में मीट वैगरह तो नही है ना “

“नहीं ,सर,प्योअर वैजिटेरियन है |”

सब खाने के हॉल में पहुँचते हैं

“खाना तो बहुत लज़ीज़ बना है !”

“ये तो सब हलवाई का कमाल है !मेरा तो ये खानदानी काम है |वैसे ये लोग तो भोंदू होते हैं |हलवाई लोग इसी बात का फ़ायदा उठाते हैं और ज़्यादा तेल-मसाला ले लेते हैं |हलवाई तो वही रहता है बस किसके यहाँ काम करना है उसी हिसाब से हाथ चलते हैं और माल-मजदूरी तय होती है |”मि.सुरेश ने अपना जातीय ब्रह्मज्ञान उड़ेला |

“हमारे फ़्लैट के निचले फ्लोर पर 6 रोज़ पहले एक फंक्शन था |बारिश हो जाने के कारण उन्होंने हमारी पार्किंग में हलवाई बिठाया था |घर पर कह भी गए थे कि मास्टर जी भाभी और बच्चों समेत शामिल होना है |हमारे हाथों का कुछ नहीं है सब हलवाई बना रहे हैं |पर पत्नी ने बच्चों को नीचे भी नहीं उतरने दिया |आज जब चलने लगे तो बच्चों ने पूछ लिया कि पिताजी अब !” पांडेय जी ने कुछ निराशा से कहा

“भाई जाति क्या होती है !सब पैसे और पद का खेल है |” राजेश डबराल ने कहा

 “देखा नहीं उत्तरप्रदेश में जब दलित मुख्यमंत्री बनी थी तो सारे सुवर्ण अपने कामों के लिए उसके पैर छू रहे थे और जयजयकार कर रहे थे |”

“दिल्ली में ही देख लो,मजाल है किसी की कि बड़ी कार-बंगले वाले को ‘रे’-‘तू’ कह दे| और बेचारे रिक्शेवाले,मजूरी करनेवाले पूर्वीओं को कितने भद्दे ढंग से ‘बिहारी-बिहारी’ कहकर बुलाते हैं और खुद को कहते हैं –जाटा का छोरा,पंजाबी मुंडा आदि-आदि |”खिन्न होते हुए पांडे ने कहा  

“वही तो मैं भी कह रहा था कि अगर आशा हमारी सफाईकर्मी ना होकर साथी अध्यापिका होती तो - - -“ऐसा कहते हुए उन्होंने गहरी साँस ली और आँखे बंद कर ली |जैसे किसी शिकार के सामने से निकल जाने पर शिकारी आत्मचिंतन कर रहा हो |

मौलिक एवं अप्रकाशित (संसमरणात्मक कथा )                                                     

 

 

Views: 624

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 2:20pm

Aadarniya somesh Ji,

Samaj ka ek chitra ye bhi hai. Wastav main cheharon par chehare hain,ye wakt ke mare mohare hain.

Bahut badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"खुद ही अपनी ज़िन्दगी दुश्वार भी करते रहे दोस्तों से गैर सा व्यवहार भी करते रहे धर्म-संकट से बचाना…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर , अभिवादन आदरणीय।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"नफ़रतों की आँधियों में प्यार भी करते रहे।शांति का हर ओर से आधार भी करते रहे।१। *दुश्मनों के काल को…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"जय-जय"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"स्वागतम"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service