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तू अकेला है (दीपक शर्मा कुल्लुवी)

तू अकेला है

किस किस की खातिर तू रोता रहेगा
दिल में अपनें खंजर चुभोता  रहेगा

यह दुनियां है धोखा इसमें ग़म है बहुत
कब तक तू ग़म सबके ढोता रहेगा

अकेला तो कुछ भी तू कर न सकेगा
जख्म सारी दुनियां के भर न सकेगा

तू शायर है दुष्टों को मारेगा कैसे
क़लम से तो क़त्ल कभी कर  न सकेगा

छोड़ दे सबको अपनी किस्मत के सहारे
ला न पाएगा कश्ती तू सबकी किनारे

यहाँ चलता है फिरका परस्तों  का ज़ोर
उनके ज़ुल्म-ओ-सितम से तू बच न सकेगा

इस कलयुग में शायद गलत आ गया
दुनियां का ही तुझको गम खा गया

अपनीं खातिर जिया न  जिएगा कभी 
गैरों की खातिर लगता है मरेगा

09136211486
दीपक शर्मा कुल्लुवी

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 5, 2011 at 9:47am

BILKUL THEEK FARMAYA AAPNE BAGI SAHIB

DHANYABAAD

 

DEEPAK KULUVI


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 8:53pm
दीपक साहिब ख्यालात अच्छे है , शुरू के दो शेर भी ठीक ठाक है , थोड़े प्रयत्न से इसे ग़ज़ल का रूप दिया जा सकता था , OBO पर चलाये जा रहे गज़लशाला को देखते रहे, लाभकारी हो सकता है |

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